अहोई अष्टमी: संतान की दीर्घायु और सुख के लिए विशेष व्रत, गुरु पुष्य योग में करें अहोई अष्टमी की पूजा

3 Min Read

कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को महिलाएं संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत करती हैं, जिसे अहोई अष्टमी कहा जाता है। यह व्रत करवा चौथ के चार दिन बाद और दीपावली से आठ दिन पहले मनाया जाता है।

वैदिक आचार्य राहुल भारद्वाज के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को प्रातः 01:18 मिनट से आरंभ होकर अगले दिन प्रातः 01:58 मिनट तक रहेगी। पूजन का शुभ मुहूर्त सांय 05:42 मिनट से 06:59 मिनट तक होगा, जो लगभग एक घंटा 17 मिनट की अवधि तक रहेगा। इस अहोई अष्टमी पर सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि और गुरु पुष्य योग का संयोग बनेगा, जो ज्योतिष शास्त्र में बहुत शुभ और फलदायी माना जाता है।

इस दिन भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रमा की विधिपूर्वक पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। गुरु पुष्य योग में आभूषण, वाहन, घर और जमीन की खरीदारी करना भी अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इस योग में खरीदी गई वस्तुएं समय के साथ कई गुना वृद्धि करती हैं। इसी तरह, चने की खरीदारी से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है, और कुंडली में गुरु ग्रह मजबूत होते हैं, जिससे मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

अहोई अष्टमी व्रत के महत्व के बारे में आचार्य राहुल भारद्वाज ने बताया कि अहोई देवी की पूजा तारों की छांव में की जाती है। इस दिन सांय 06:06 मिनट से तारों का दर्शन किया जा सकता है, और रात्रि 11:59 पर चंद्रमा उदय होगा। इस व्रत से संतान की आयु बढ़ने के साथ-साथ निरोगी जीवन का भी लाभ मिलता है।

इस दिन विशेष महत्व है तीर्थ स्नान और दान का। लक्ष्मी और नारायण की पूजा के साथ-साथ श्री यंत्र पूजा और लक्ष्मी पूजा करने से सुख, समृद्धि और धन-धान्य में वृद्धि होती है, जिससे परिवार में खुशहाली आती है।

अहोई अष्टमी का यह पर्व न केवल आध्यात्मिक बल्कि भौतिक समृद्धि का भी प्रतीक है। इस अवसर पर सभी महिलाएं अपने परिवार की खुशियों और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

 

 

 

 

 

Share This Article
Follow:
प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version