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एकादशी व्रत उद्यापन: जानिए कब, कैसे और क्यों करना चाहिए

Honey Chahar
3 Min Read

एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। इस व्रत को करने से भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। एकादशी के व्रत को करने के बाद उद्यापन करना भी आवश्यक होता है। उद्यापन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

एकादशी के व्रत का उद्यापन करने की विधि

एकादशी के व्रत का उद्यापन करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर
  • तुलसी का पौधा
  • चावल
  • दूध
  • दही
  • घी
  • शहद
  • शक्कर
  • फल
  • मिठाई
  • पंचामृत
  • नैवेद्य
  • प्रसाद
  • गंगाजल
  • दीप
  • धूप
  • अगरबत्ती

उद्यापन की विधि

  • सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।
  • फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को स्थापित करें और उनकी पूजा करें।
  • तुलसी के पौधे को जल दें और उसे प्रणाम करें।
  • चावल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से पंचामृत बनाएं और भगवान विष्णु को अर्पित करें।
  • भगवान विष्णु को नैवेद्य अर्पित करें।
  • फल और मिठाई का भोग लगाएं।
  • प्रसाद बांटें।
  • गंगाजल से भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
  • दीप जलाएं और धूप और अगरबत्ती जलाएं।
  • भगवान विष्णु से प्रार्थना करें कि उन्होंने आपके व्रत को स्वीकार किया है।
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एकादशी के व्रत का उद्यापन कब करें

एकादशी के व्रत का उद्यापन उसी दिन करना चाहिए जिस दिन व्रत रखा गया था। अगर किसी कारणवश उसी दिन उद्यापन नहीं कर सके तो दूसरे दिन भी उद्यापन किया जा सकता है। लेकिन उद्यापन करने से पहले किसी पंडित से सलाह ले लेनी चाहिए।

एकादशी के व्रत का उद्यापन करने के लाभ

एकादशी के व्रत का उद्यापन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है। इससे भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, उद्यापन करने से भक्तों को सुख, समृद्धि और आरोग्य की प्राप्ति होती है।

एकादशी के व्रत का उद्यापन करने के नियम

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एकादशी के व्रत का उद्यापन करते समय निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:

  • उद्यापन किसी पवित्र स्थान पर करना चाहिए।
  • उद्यापन करते समय शुद्ध मन और भाव होना चाहिए।
  • उद्यापन करते समय भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
  • उद्यापन करते समय किसी पंडित से सलाह ले लेनी चाहिए।

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