कन्याओं और महिलाओं का सम्मान ही माता की सच्ची उपासना-डॉ हरेन्द्र गुप्ता

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सुमित गर्ग अग्रभारत,

शक्ति रूपेण संस्थिता:हर स्त्री में छिपा है मां दुर्गा का रूप, नवरात्रि के इस दिन को अपने संकट मिटाने और जीवन में सुख, समृद्धि व सुरक्षा का माध्यम बनाएं

आगरा-नवरात्र एक ऐसा पर्व है जो साल में तीन बार मनाया जाता है। इसमें चैत्र नवरात्र, शारदीय नवरात्र और गुप्त नवरात्र शामिल हैं। उत्सवधर्मिता और धार्मिक महत्ता की दृष्टि से शारदीय नवरात्र को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है यह विचार इंडियन मेडिकल एशोसिएशन यूपी के पूर्व अध्यक्ष व राधे कृपा जनकल्याण समिति के संरक्षक डॉ हरेन्द्र गुप्ता ने अग्रभारत से साझा किये।

उन्होंने बताया कि देवी दुर्गा संकट की घड़ी में हमें अपने विकारों और विचारों दोनों को शुद्ध करने का अवसर और शक्ति देती है। इसका दृढ़ विश्वास है। अत: ये नौ दिन संकट मिटाने और जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा आने का माध्यम बनाएं।

हर स्त्री है दुर्गा
देवी की आठ भुजाओं और उनमें सुशोभित अस्त्र-शस्त्रों की तुलना आज या पहले की स्त्री से करें। हम देखेंगे कि हमारे समाज में स्त्रियों पर बहुआयामी कर्तव्य और उत्तरदायित्व का बोझ रहा है और उन्होंने पूरी सफलता, सामर्थ्य और निष्ठा के साथ उनका निर्वहन भी किया है। स्पष्ट है कि स्त्री-अस्मिता के सर्वोत्तम प्रतीक के रूप में देवी आराधना धार्मिक दृष्टि से ही नहीं अपितु सामाजिक दृष्टि से भी तर्कसंगत होगी।

परिवर्तन की प्रेरक
डॉ हरेन्द्र गुप्ता कहते हैं कि देवी जब अपना रूप बदलती हैं, तो वे परिवर्तन के लिए प्रेरित करती हैं। सर्जक भंजक में परिवर्तित हो सकता है। भंजक रक्षक में बदल सकता है। जो हानि पहुंचाता है वह संरक्षण कर सकता है। जो इच्छा करता है वह संयम भी दिखा सकता है। देवी 88हमारे इर्द-गिर्द की दुनिया हैं। देवी हमें प्रेरित करती हैं। वे हमारे भीतर 8इच्छा पैदा करती हैं।

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प्रभारी-दैनिक अग्रभारत समाचार पत्र (आगरा देहात)
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