नई दिल्ली। सरकार ने जीएसटी में चोरी को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। अब सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेट टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) को पीएमएलए के तहत लाने का फैसला किया है, जिसके लिए अधिसूचना जारी की गई है। इसका मतलब है कि अब जीएसटी से जुड़े मामलों में ईडी सीधा दखल दे सकेगी।
ईडी जीएसटी चोरी करने वाली फर्म, व्यापारी या संस्था के खिलाफ सीधे कार्रवाई कर सकेगी। इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम टैक्स चोरी को रोकने के लिए सरकार की ओर से एक और कदम उठाया गया है। सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना के अनुसार जीएसटी नेटवर्क का डाटा की पूरी सूचना ईडी को दी जाएगी। अधिसूचना पीएमएलए की धारा 66(1) (iii) के तहत ईडी और जीएसटीएन के बीच जानकारी साझा करने के संबंध में है।
पीएमएलए को आतंकी फंडिंग और नशे के पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए लाया गया था। जीएसटीएन के तहत बहुत संवेदनशील जानकारी होती है, जिसके तहत जांच में सहायता हो सकती है। एक्सपर्ट ने कहा कि ईडी को इससे जांच में ज्यादा मदद मिल सकेगी। अधिसूचना अब जीएसटीएन और ईडी दोनों के बीच जानकारी या अन्य चीजों को शेयर करने की सुविधा देगी।
मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून को तैयार किया गया था। इसके तहत सरकार गैरकानूनी तरीके से कमाए गए संपत्तियों को जब्त करने का अधिकारी रखती है। साल 2002 में इस कानून को पारित किया गया था। हालांकि धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट को 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया।