नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) आगामी महीनों में रेपो रेट में बड़ी कटौती पर विचार कर रहा है, जिससे आम आदमी को होम लोन और कार लोन पर बड़ी राहत मिल सकती है। रिपोर्ट्स के अनुसार, जून से लेकर दिवाली तक होने वाली मौद्रिक नीति समिति (MPC) की तीन बैठकों में रेपो रेट में 0.50% से 0.75% तक की कमी की जा सकती है।
जून से शुरू हो सकती है कटौती का सिलसिला
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 4-6 जून तक होनी है। इस बैठक में 0.25% की पहली कटौती हो सकती है। इसके बाद, 5 से 7 अगस्त या 29 सितंबर से 1 अक्टूबर को होने वाली बैठकों में भी 0.25% से 0.50% तक की और कटौती होने की उम्मीद है।
अगर इन अनुमानों के अनुसार कटौती होती है, तो दिवाली से पहले आम आदमी को बड़ी राहत मिलेगी। वर्तमान में रेपो रेट 6% पर है, और उम्मीद है कि दिवाली तक यह घटकर 5.25% तक आ सकता है। नोमुरा (Nomura) जैसी कुछ संस्थाओं का अनुमान है कि साल 2025 के अंत तक यह कटौती 1% (100 बेसिस पॉइंट) तक हो सकती है, जिससे रेपो रेट 5% पर आ जाएगा।
लोन होंगे सस्ते, अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा
रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है। जब रेपो रेट कम होता है, तो बैंकों के लिए पैसा उधार लेना सस्ता हो जाता है, जिसका लाभ वे ग्राहकों को कम ब्याज दरों के रूप में देते हैं। इससे होम लोन, कार लोन और अन्य ऋणों की EMI कम हो जाएगी, जिससे आम आदमी के लिए कर्ज लेना सस्ता और आसान हो जाएगा।
सस्ते ऋण से न केवल शहरी खपत को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि कारखानों में निवेश बढ़ने से रोजगार भी पैदा होगा, जिससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।
क्यों घट सकता है ब्याज?
एसबीआई सिक्युरिटीज के डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट सनी अग्रवाल ने बताया कि सभी कारक दर में कटौती के संकेत दे रहे हैं।
- सामान्य मानसून के आसार: बेहतर मानसून से कृषि उत्पादन में सुधार होगा, जिससे खाद्य कीमतों पर दबाव कम होगा।
- स्थिर जीडीपी ग्रोथ: भारतीय अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ स्थिर बनी हुई है, जो आरबीआई को दरें कम करने के लिए आत्मविश्वास देती है।
- महंगाई काबू में: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि महंगाई दर अब नियंत्रण में है। पिछली बैठक में आरबीआई गवर्नर ने भी संकेत दिया था कि यदि महंगाई काबू में रहती है, तो दरें और भी घटाई जा सकती हैं। अप्रैल 2025 में खुदरा महंगाई दर (CPI) 3.16% पर आ गई है, जो जुलाई 2019 के बाद का सबसे निचला स्तर है, और थोक महंगाई दर (WPI) भी घटकर 0.85% हो गई है।
आरबीआई ने फरवरी 2025 से रेपो रेट में कटौती शुरू की थी और तब से दो बैठकों में कुल 0.50% की कटौती हो चुकी है, जिससे रेपो रेट 6% पर आ गया है। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में 6 सदस्य होते हैं, जिनमें से 3 आरबीआई से और 3 केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त होते हैं। आरबीआई की बैठक हर दो महीने में होती है, और वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 6 बैठकें निर्धारित हैं। यह अनुमान बताता है कि आने वाले महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अनुकूल माहौल बन सकता है।