भारतीय रुपया शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023 को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। रुपया 82.69 प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ, जो पिछले बंद के मुकाबले 0.25% कम है। यह लगातार नौवां सत्र है जब रुपया डॉलर के मुकाबले गिरा है।
रुपये में गिरावट कई कारकों के कारण हो रही है, जिसमें अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक ब्याज दर में वृद्धि, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और मजबूत डॉलर शामिल हैं।
फेडरल रिजर्व मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरें बढ़ा रहा है। इससे अमेरिकी डॉलर और अधिक मजबूत हो गया है। एक मजबूत डॉलर से विकासशील देशों की मुद्राओं पर दबाव पड़ता है, जिसमें रुपया भी शामिल है।
इसके अलावा, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका से भी रुपये पर दबाव बढ़ रहा है। आर्थिक मंदी के दौरान, निवेशक अपनी जोखिम भरी संपत्तियों से धन निकालकर सुरक्षित संपत्तियों में निवेश करते हैं। डॉलर को एक सुरक्षित संपत्ति माना जाता है, इसलिए आर्थिक मंदी की आशंका से रुपये पर दबाव पड़ता है।
रुपये में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। सबसे पहले, यह आयात की लागत को बढ़ाता है, जिससे मुद्रास्फीति बढ़ती है। दूसरा, यह निर्यात की प्रतिस्पर्धात्मकता को कम करता है, जिससे निर्यात घटता है और आर्थिक विकास प्रभावित होता है। तीसरा, इससे विदेशी मुद्रा भंडार कम होता है, जिससे देश की भुगतान क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भारतीय सरकार और रिजर्व बैंक रुपये की गिरावट को रोकने के लिए कई उपाय कर रहे हैं। इन उपायों में विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप, आयात शुल्क में वृद्धि और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन शामिल हैं। हालांकि, इन उपायों का प्रभाव अभी तक दिखाई नहीं दिया है।
रुपये में गिरावट से भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।