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RBI ने लिया इन 4 बैंकों पर कड़ा एक्शन, लगा दिया करोड़ों का जुर्माना, कहीं आपका भी तो खाता नहीं?

Dharmender Singh Malik
4 Min Read

RBI Penalty: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नियामकीय अनुपालन में कमियों के लिए जम्मू एवं कश्मीर बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और केनरा बैंक पर जुर्माना लगाया है.

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में चार प्रमुख बैंकों और एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) पर जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई इन संस्थाओं द्वारा नियामकीय अनुपालन में हुई खामियों के कारण की गई है। यदि आप इनमें से किसी बैंक में खाता रखते हैं, तो आपको इन जुर्मानों और नियमों से जुड़े मामलों की जानकारी जरूर होनी चाहिए।

जिन बैंकों पर जुर्माना लगाया गया, वे हैं:

  1. जम्मू और कश्मीर बैंक (Jammu & Kashmir Bank):
    जम्मू और कश्मीर बैंक पर 3.31 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना वित्तीय समावेशन और बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच से संबंधित मानदंडों के उल्लंघन के लिए लगाया गया। इसके अलावा, बैंक ने ‘केवाईसी’ (अपने ग्राहक को जानें) और ‘ऋण और अग्रिम’ से संबंधित कुछ वैधानिक प्रतिबंधों का उल्लंघन किया।
  2. बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India):
    बैंक ऑफ इंडिया पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के कुछ प्रावधानों के पालन में कमियों के कारण लगाया गया। रिजर्व बैंक ने बैंक को प्राथमिकता क्षेत्र ऋण, जमा पर ब्याज दर, और वित्तीय समावेशन से जुड़े नियमों का पालन करने के लिए आदेश दिए थे, लेकिन इन नियमों का पालन नहीं किया गया।
  3. केनरा बैंक (Canara Bank):
    केनरा बैंक पर 1.63 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। बैंक पर प्राथमिकता क्षेत्र ऋण, जमा पर ब्याज दर और वित्तीय समावेशन से जुड़े कुछ निर्देशों का पालन न करने का आरोप है। यह जुर्माना रिजर्व बैंक के नियामकीय निर्देशों के उल्लंघन के कारण लगाया गया है।
  4. डेटसन एक्सपोर्ट्स (Datson Exports):
    पश्चिम बंगाल स्थित डेटसन एक्सपोर्ट्स पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यह जुर्माना ‘गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC)’ द्वारा वित्तीय सेवाओं की आउटसोर्सिंग में जोखिम प्रबंधन और आचार संहिता का पालन न करने के कारण लगाया गया है।
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क्या है इसका प्रभाव कस्टमर्स पर?

RBI ने स्पष्ट किया कि इन जुर्मानों का उद्देश्य संस्थाओं द्वारा किए गए किसी भी लेन-देन या ग्राहक समझौतों की वैधता पर सवाल उठाना नहीं है। इस कार्रवाई का मकसद केवल संस्थाओं के नियामकीय और कानूनी अनुपालन में खामियों को सुधारना है। इसका मतलब है कि इन जुर्मानों का सीधे तौर पर कस्टमर्स पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, यदि आपको किसी बैंक से जुड़ी शिकायत या चिंता हो, तो आप उसे संबंधित बैंक में उठा सकते हैं।

RBI का कदम क्यों महत्वपूर्ण है?

यह कदम यह दर्शाता है कि रिजर्व बैंक भारतीय बैंकिंग प्रणाली के नियमों और विनियमों के पालन को लेकर कितनी गंभीर है। नियामकीय अनुपालन की कमियों के कारण न केवल बैंकों की विश्वसनीयता पर असर पड़ता है, बल्कि यह पूरे वित्तीय सिस्टम को भी कमजोर कर सकता है। रिजर्व बैंक के इन कठोर कदमों से बैंकों को नियमों के पालन में अधिक सतर्क रहने के लिए मजबूर किया जाएगा, जो कस्टमर्स के लिए लंबे समय में फायदेमंद साबित हो सकता है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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