नई दिल्ली। 5G सर्विस का देश में शुरू होना न केवल दूरसंचार क्षेत्र के लिए क्रांति है, बल्कि इसने देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है। भारत में 5G सर्विस शुरू होने से पहले ही पिछले 12 महीनों में 5G और टेलीकम्युनिकेशंस के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इस सेक्टर की जॉब पोस्टिंग में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है, क्योंकि नई कंपनियां 5G सेवाओं में तेजी से पैर पसारने की कोशिश कर रही हैं।
ग्लोबल जॉब साइट इंडीड के मुताबिक, सितंबर 2021 से सितंबर 2022 के बीच टेलीकम्युनिकेशन और 5G में जॉब पोस्टिंग में 33.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट का कहना है कि भारत में 5G सर्विस शुरू होने का बेसब्री से इंतजार किया गया है। बहुत से व्यवसायों ने पहले ही 5G तकनीक और सेवाओं को विकसित करने के लिए काम करना शुरू कर दिया था। अब मोबाइल कंपनियों के सामने तेजी से 5G सेवाओं के विस्तार का दबाव है। उन्हें अपने 4G नेटवर्क को 5G में बदलने के लिए अगले कई महीने युद्धस्तर पर काम करना होगा।
5G से बढ़ीं नौकरियां
सिक्योरिटी सिस्टम से लेकर नई तकनीक से लैस नेटवर्क आर्किटेक्चर को मजबूत करने के लिए कुशल और अकुशल दोनों तरह के कामगारों की आवश्यकता होगी। नौकरी चाहने वालों और टेलीकॉम उद्योग दोनों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे नई मांग को पूरा करने में अपना योगदान करें। दरअसल, ज्यादा नौकरियां साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में पैदा हो रही हैं, क्योंकि जैसे-जैसे तकनीक का विस्तार हुआ है, साइबर खतरे भी उसी हिसाब से बढ़े हैं।
COVID-19 महामारी से उपजे वर्क फ्रॉम होम कल्चर से साइबर सुरक्षा की जरूरतें बढ़ीं। ऑफिस ऑनलाइन थे और रुपये से लेकर सेवाओं तक का लेन-देन डिजिटल। ऐसे में सुरक्षा संबंधी चिंताओं का उठना स्वाभाविक था। आंकड़ों से पता चला है कि अगस्त 2019 से अगस्त 2022 के बीच साइबर सुरक्षा के लिए जॉब पोस्टिंग में 81 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सबसे अधिक उछाल 5G सेवाओं के लॉन्च से कुछ महीने पहले आया है, जब सुरक्षा संबंधी चिंताएं एक बड़े फैक्टर के रूप में उभरीं।
हाल के दिनों में जारी डाटा से पता चलता है कि तकनीकी सहायता, बीपीओ और कस्टमर सपोर्ट जैसी नौकरियों के लिए औसत वेतन में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। सीनियर लेवल पर तीन लाख हर महीने का वेतन अब टेलीकॉम में कोई बड़ी बात नहीं है। कम से कम इंडीड प्लेटफॉर्म पर सितंबर 2021 से सितंबर 2022 तक दी गई जॉब पोस्टिंग डाटा से तो यही पता चलता है।