अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर का नया चरण शुरू हो गया है। अमेरिका द्वारा चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने के बाद, अब चीन ने भी अमेरिकी सामानों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। साथ ही, चीन ने 25 अमेरिकी कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता बढ़ गई है।
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ युद्ध
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए टैरिफ प्लान के बाद, अब दुनिया में एक गंभीर ट्रेड वॉर जैसी स्थिति बन गई है। ट्रंप प्रशासन ने एक बार फिर से चीन पर टैरिफ बढ़ा दिया है, और अब चीन ने भी प्रतिवाद करते हुए अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाने का फैसला लिया है।
चीन ने यह ऐलान किया है कि वह अमेरिकी इम्पोर्ट पर 10 से 15 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। इन टैरिफ के लागू होने से दुनिया के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों के बीच तनातनी और बढ़ सकती है।
चीन और कनाडा का जवाब
इससे पहले, अमेरिका ने मैक्सिको और कनाडा पर भी 25 फीसदी टैरिफ का ऐलान किया था। जवाब में, कनाडा ने अमेरिकी वस्तुओं पर 25 फीसदी टैरिफ और एनर्जी प्रोडक्ट्स पर 10 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह कदम अमेरिका द्वारा 25 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद आया है।
इसके अलावा, चीन ने भी 10 मार्च से अमेरिकी चिकन, गेहूं, मक्का, और कपास पर 15 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। वहीं, अमेरिकी सोयराबीन, ज्वार, सूअर, बीफ, सी प्रोडक्ट्स, फल, सब्जियों, और डेयरी प्रोडक्ट्स पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।
25 अमेरिकी कंपनियों पर बैन
चीन के वित्त मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि 25 अमेरिकी कंपनियों पर निर्यात और निवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह कदम अमेरिका के साथ बढ़ती तनावपूर्ण परिस्थितियों को और जटिल बना सकता है। चीन का यह कदम अमेरिकी कंपनियों के लिए भारी आर्थिक नुकसान का कारण बन सकता है।
ट्रंप की टैरिफ नीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को दोगुना करते हुए 20 प्रतिशत कर दिया था। इसके पीछे उनका तर्क था कि चीन फेंटेनाइल जैसी ड्रग्स के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले केमिकल्स की आपूर्ति करता है, जो अमेरिका में ड्रग ओवरडोज की बढ़ती घटनाओं का कारण बन रहे हैं। हालांकि, चीन ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि अमेरिकी आरोप निराधार हैं।
चीन का विरोध और वैश्विक व्यापार पर असर
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “अमेरिका के एकतरफा टैरिफ उपाय विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का गंभीर उल्लंघन करते हैं और चीन और अमेरिका के बीच आर्थिक और व्यापार सहयोग के आधार को कमजोर करते हैं।” चीन ने यह भी कहा कि वह अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा करेगा।
इस पूरी स्थिति ने वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता और तनाव को बढ़ा दिया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में हलचल मच गई है।
भारतीय बाजार पर प्रभाव
अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ वॉर का प्रभाव भारतीय शेयर बाजार पर भी दिखने लगा है। डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ फैसले के बाद भारतीय और वैश्विक शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है। भारतीय शेयर बाजार, जिसमें सेंसेक्स और निफ्टी प्रमुख रूप से शामिल हैं, गिरावट के दौर से गुजर रहे हैं। सेंसेक्स करीब 200 अंक टूट चुका है, जबकि निफ्टी में 60 अंक की गिरावट आई है।
इसके अलावा, अन्य वैश्विक बाजारों में भी गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। इससे भारत के निवेशक भी चिंतित हैं, क्योंकि आगामी दिनों में और गिरावट की संभावना है।
अंत में
चीन और अमेरिका के बीच बढ़ता हुआ टैरिफ वॉर न केवल इन दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहा है, बल्कि इसका असर वैश्विक व्यापार और शेयर बाजारों पर भी पड़ रहा है। अगर यह विवाद और बढ़ता है, तो इससे कई देशों की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
भारत सहित अन्य देशों को इस ट्रेड वॉर के परिणामों का सामना करना पड़ सकता है, और निवेशकों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति जल्द सुधरने की बजाय और जटिल हो सकती है, जिससे वैश्विक व्यापार और भारतीय शेयर बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है।