आगरा। पुलिस कमिश्नरेट में भ्रष्टाचार और विवेचना में लापरवाही करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी है। गुरुवार को पांच दारोगा समेत 25 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया, जिसमें पश्चिमी जोन के एक प्रशिक्षु दारोगा, चार मुख्य आरक्षी, और 15 आरक्षी शामिल हैं। पूर्वी जोन में भी एक प्रशिक्षु महिला दारोगा और एक मुख्य आरक्षी पर कार्रवाई की गई।
पुलिस आयुक्त जे. रविन्दर गौड़ ने चुनाव से पहले बीट पुलिस अधिकारी (बीपीओ) प्रणाली लागू की थी और उन्हें सिटीजन चार्टर का पालन करने के निर्देश दिए थे। फीडबैक सेल द्वारा आवेदकों से फोन पर बातचीत करके रिश्वत मांगने के मामलों का पता लगाने के बाद इन पुलिसकर्मियों को चिह्नित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
पश्चिमी जोन में अनुशासनहीनता और लापरवाही के आरोप में 23 पुलिसकर्मी निलंबित किए गए। इनमें चार उप निरीक्षक, एक कंप्यूटर ऑपरेटर, एक उर्दू अनुवादक, पांच मुख्य आरक्षी और 12 आरक्षी शामिल हैं। इन अधिकारियों के नाम और उनके संबंधित थाने निम्नलिखित हैं:
रामजस यादव (उ0नि0) – थाना बसई जगनेर,,प्रताप सिंह (उ0नि0)- थाना अछनेरा,,सतेन्द्र त्रिपाठी (उ0नि0) – थाना सैंया,,करन सिंह (उ0नि0 प्रशिक्षु)- थाना इरादतनगर,,अभय कुमार (कंप्यूटर ऑपरेटर ग्रेड-ए) – थाना किरावली,,आदित्य कुमार (मुख्य आरक्षी)- थाना इरादतनगर,,सौरभ चौहान (मुख्य आरक्षी)- थाना एत्मादपुर,,राजकुमार (मुख्य आरक्षी) – थाना खेरागढ,,उपेन्द्र सिंह (मुख्य आरक्षी) – थाना बसई जगनेर,,उमर दराज (उर्दू अनुवादक/वरिष्ठ सहायक) – थाना मलपुरा,,अमित कुमार (आरक्षी) – थाना अछनेरा,,विकास कुमार (आरक्षी)- थाना इरादतनगर,,कुलदीप कुमार (आरक्षी) – थाना खेरागढ,,अक्षय कुमार (आरक्षी) – थाना खेरागढ
,,योगेन्द्र सिंह (आरक्षी) – थाना जगनेर,,सौरभ प्रताप (आरक्षी) – थाना जगनेर,,सतेन्द्र चौधरी (आरक्षी) – थाना एत्मादपुर,,अकुर (आरक्षी)- थाना सैंया,,श्दिग्विजय सिंह (आरक्षी)- थाना सैंया,,अरूण कुमार (आरक्षी) – थाना सैंया,,श्यामवीर सिंह (आरक्षी)- थाना बरहन,,प्रवीन कुमार (आरक्षी) – थाना खन्दौली,,रविकान्त (आरक्षी) – थाना सैंया
निलंबित प्रशिक्षु दरोगाओं की नौकरी पर लग सकता है ग्रहण
आगरा में पासपोर्ट की रिपोर्ट लगाने में अवैध वसूली के आरोप में डीसीपी पश्चिम ने 16 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है। इन निलंबित कर्मियों में पांच प्रशिक्षु दरोगा भी शामिल हैं, जो चुनाव से पहले आगरा पुलिस कमिश्नरेट को मिले थे। गुरुवार को एक सिपाही ने डीसीपी कार्यालय पहुंचकर आरोप लगाया कि पासपोर्ट रिपोर्ट लगाने के लिए पैसे प्रशिक्षु दरोगा ने लिए थे। इस आरोप की जांच होने पर प्रशिक्षु दरोगाओं पर कार्रवाई हो सकती है।निलंबित प्रशिक्षु दरोगाओं पर रिश्वतखोरी और अनियमितता के आरोप लगे हैं, जिससे उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। अगर जांच में ये आरोप सही पाए जाते हैं, तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है। प्रशिक्षु दरोगाओं की भर्ती के तीन वर्ष की नौकरी अस्थाई रहती है, इसलिए इस कार्यवाही ने प्रशिक्षु दरोगाओं को चिंता में डाल दिया है। अगर उन्हें विभागीय सजा मिलती है, तो इसका असर उनके भविष्य पर पड़ सकता है, क्योंकि तैनाती के समय उनके चरित्र पंजिका का मूल्यांकन किया जाएगा।