पिता सुपरस्टार बेटे शून्य : 40 साल में केवल 4 फिल्में और वो भी फ्लॉप, फिर गायब

Manisha singh
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क्या आप जानते हैं उस अभिनेता के बारे में जिसने 40 साल में केवल 4 फिल्में कीं, और सभी फ्लॉप रहीं? बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता देव आनंद के बेटे सुनील आनंद की कहानी। 40 वर्षों में केवल 4 फिल्मों में अभिनय किया, सभी फ्लॉप। जानें कैसे सुनील ने अपने पिता की विरासत को संभालने की कोशिश की, लेकिन फिर भी इंडस्ट्री से गायब हो गए।

बॉलीवुड का एक अनोखा सफर: देव आनंद के बेटे सुनील आनंद की कहानी

बॉलीवुड में कुछ ऐसे अभिनेता होते हैं जिनका अपना अलग स्टाइल होता है, जिसे आज भी लोग कॉपी करने की कोशिश करते हैं। इन सबसे बड़े नामों में से एक हैं देव आनंद। उन्होंने बॉलीवुड में एक अनोखी शैली स्थापित की और एक के बाद एक सुपरहिट फिल्में दीं।

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जब बात होती है पुराने सितारों की, तो अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, दिलीप कुमार और राज कपूर जैसे नाम सामने आते हैं। इन सितारों ने बड़े पर्दे पर अपनी अलग पहचान बनाई। लेकिन जब उनके बच्चों की बात आती है, तो वे अपने पिता की छाया में कहीं खो गए। चाहे वह अमिताभ बच्चन का बेटा अभिषेक बच्चन हो या मिथुन चक्रवर्ती का बेटा मिमोह चक्रवर्ती, कोई भी बॉलीवुड में खास पहचान नहीं बना सका।

आज हम बात करेंगे एक ऐसे अभिनेता की, जो 70 और 80 के दशक के सुपरस्टार के बेटे हैं। इस अभिनेता ने अपने पिता के सपनों को साकार करने की कोशिश की, लेकिन उसकी मेहनत बेकार गई। सुपरस्टार बनने की बजाय, उनका बेटा एक सुपर फ्लॉप अभिनेता बनकर रह गया और अब वह फिल्म इंडस्ट्री से गायब है।

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सुपरस्टार का बेटा: सुनील आनंद

dev anand पिता सुपरस्टार बेटे शून्य : 40 साल में केवल 4 फिल्में और वो भी फ्लॉप, फिर गायब

सुनिए, हम बात कर रहे हैं सुनील आनंद की, जो देव आनंद और कल्पना कार्तिक के बेटे हैं। सुनील का जन्म 30 जून 1956 को हुआ। देव आनंद ने अपने बेटे को बॉलीवुड में प्रवेश दिलाने की योजना बनाई, लेकिन वह नहीं जानते थे कि सुनील इस राह पर अपने पिता के नाम को आगे नहीं बढ़ा पाएंगे।

देव आनंद ने सुनील के करियर को बढ़ावा देने के लिए 1984 में फिल्म ‘आनंद और आनंद’ बनाई। इस फिल्म में देव आनंद ने निर्देशक, निर्माता और अभिनेता के रूप में काम किया। देव आनंद को उम्मीद थी कि उनकी उपस्थिति फिल्म को हिट कर देगी, लेकिन फिल्म सुपर फ्लॉप साबित हुई।

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सुनील ने इसके बाद ‘कार थीफ’ (1986), ‘मैं तेरे लिए’ (1988) और ‘मास्टर’ (2001) जैसी फिल्में कीं, लेकिन सभी फ्लॉप रहीं।

जब सुनील आनंद अभिनय में सफल नहीं हुए, तो उन्होंने निर्देशन और उत्पादन की ओर रुख किया और ‘नवकेतन फिल्म्स’ नामक अपनी प्रोडक्शन कंपनी बनाई। अब सुनील आनंद का प्रोडक्शन हाउस लगातार फिल्में बनाने का काम कर रहा है, लेकिन वह लाइमलाइट से दूर हैं।

 

 

 

 

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Manisha Singh is a freelancer, content writer,Yoga Practitioner, part time working with AgraBharat.
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