मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस और किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ममता कुलकर्णी ने अपने इस्तीफे को वापस ले लिया है। इस बड़े कदम से जुड़ी एक नई खबर सामने आई है, जिसमें उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य लक्ष्मी नारायण पर लगाए गए आरोपों पर सफाई भी दी है। ममता कुलकर्णी ने एक वीडियो संदेश जारी कर अपनी स्थिति स्पष्ट की और कहा कि उनका इस्तीफा भावनाओं में आकर लिया गया था।
ममता कुलकर्णी का इस्तीफा वापस लेना
ममता कुलकर्णी ने 1 मिनट 14 सेकंड का एक वीडियो संदेश जारी किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका इस्तीफा किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से वापस लिया गया है। उन्होंने कहा, “मेरे गुरु स्वामी डॉक्टर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर कुछ लोगों ने गलत आरोप लगाए थे। उस भावना में आकर मैंने किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिया था।” ममता ने बताया कि वह गुरु की कृतज्ञ हैं, जिन्होंने उन्हें वापस पद पर बैठाया है।
गुरु की भेंट पर सफाई
ममता कुलकर्णी ने यह भी स्पष्ट किया कि उनके द्वारा गुरु को दी गई भेंट, जोकि छत्र, छड़ी और चंवर के लिए दी गई थी, उस धनराशि का उपयोग भंडारे के लिए किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि इस्तीफा देने के बाद उन्हें समझ में आया कि उनकी भावनाओं को सही दिशा में नहीं लगाया गया था।
“मैं किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म के लिए समर्पित हूं”
ममता कुलकर्णी ने आगे कहा कि वह अब किन्नर अखाड़े और सनातन धर्म के प्रति अपनी निष्ठा को दृढ़ करते हुए अपना जीवन समर्पित करेंगी। ममता ने किन्नर अखाड़े के साथ अपने रिश्ते को फिर से मजबूत किया और कहा कि आगे वह इस मार्ग पर चलते हुए धार्मिक कार्यों में योगदान देंगी।
महामंडलेश्वर पद से इस्तीफे का विवाद
ममता कुलकर्णी को 24 जनवरी 2025 को किन्नर अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाए जाने की घोषणा की गई थी। हालांकि, 10 फरवरी को ममता ने एक वीडियो संदेश जारी कर महामंडलेश्वर का पद छोड़ने और किन्नर अखाड़े से अपने संबंध तोड़ने का ऐलान किया था। इसके बाद, अब उन्होंने अपने इस्तीफे को वापस लेकर अपनी भावनाओं और गुरु के प्रति आभार का इज़हार किया है।
इंस्टाग्राम पर इस्तीफे का ऐलान
इससे पहले ममता कुलकर्णी ने इंस्टाग्राम पर वीडियो शेयर करते हुए महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था, “मैं महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं, मैं साध्वी थी और आगे भी साध्वी ही रहूंगी। कुछ लोगों को मेरे महामंडलेश्वर बनने से समस्या हो रही थी। वह शंकराचार्य हों या कोई और, उन्हें मुझसे दिक्कत थी।” ममता ने इस विवाद में खुद को ना चाहते हुए फंसा हुआ बताया था और कहा कि वह इस विवाद से बाहर आकर अपनी साध्वी की स्थिति में बने रहना चाहती हैं।
साध्वी और महामंडलेश्वर के बीच का अंतर
ममता कुलकर्णी ने अपने इस्तीफे के दौरान यह भी कहा था, “भगवान भी आभूषण पहनते हैं, नारायण तो सर्वसंपन्न हैं। संन्यास की अपनी एक अलग परिभाषा होती है।” इस बयान के जरिए उन्होंने संन्यास और महामंडलेश्वर बनने के बीच के अंतर को स्पष्ट करने की कोशिश की।
ममता का भविष्य और किन्नर अखाड़ा
अब ममता कुलकर्णी ने अपने फैसले को वापस लेकर किन्नर अखाड़े से जुड़ा रहने का निर्णय लिया है। इस कदम से यह संकेत मिलता है कि वह इस विवाद को शांत करने और अपने धर्मिक कार्यों को फिर से गंभीरता से आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। उनके इस फैसले से किन्नर समाज और उनके समर्थकों में एक नई उम्मीद जागी है।