नई दिल्ली/ढाका। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के बाद भारत द्वारा उठाए जा रहे कठोर कदमों से पाकिस्तान बुरी तरह से बौखलाया हुआ है, उसे भारत के संभावित हमले का डर सता रहा है। इस तनावपूर्ण माहौल में बांग्लादेश भी अनापे-शनाप बयानबाजी पर उतर आया है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के एक अधिकारी और सेवानिवृत्त बांग्लादेशी मेजर जनरल ने भारत के खिलाफ विवादित और भड़काऊ बयान दिया है।
सेवानिवृत्त बांग्लादेशी मेजर जनरल एएलएम फजलुर रहमान ने तो हद पार करते हुए यह तक कह डाला है कि अगर पड़ोसी देश भारत, पाकिस्तान पर हमला करता है तो बांग्लादेश को भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। 2009 के बांग्लादेश राइफल्स (बीडीआर) हत्याकांड की जांच कर रहे राष्ट्रीय स्वतंत्र जांच आयोग के अध्यक्ष फजलुर रहमान की यह आपत्तिजनक टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद ढाका के नई दिल्ली के साथ संबंधों में कुछ खटास देखी गई है।
फजलुर रहमान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर बंगाली भाषा में एक विवादास्पद पोस्ट लिखा। उन्होंने लिखा, ‘अगर भारत-पाकिस्तान पर हमला करता है तो बांग्लादेश को पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों पर कब्जा कर लेना चाहिए। इस संबंध में मुझे लगता है कि चीन के साथ एक जॉइंट मिलिट्री सिस्टम पर चर्चा शुरू करना जरूरी है।’ रहमान की इस गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी से भारत और बांग्लादेश के बीच पहले से ही नाजुक चल रहे संबंधों में और अधिक तनाव पैदा होने की आशंका है। इससे पहले, पिछले महीने मुहम्मद यूनुस ने चीनी अधिकारियों के साथ एक बैठक में यह दावा किया था कि बांग्लादेश दक्षिण एशिया का एकमात्र सच्चा प्रवेश द्वार है।
कौन हैं फजलुर रहमान?
फजलुर रहमान को मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार का एक बेहद करीबी माना जाता है। यही मुख्य कारण है कि मोहम्मद यूनुस ने उन्हें राष्ट्रीय स्वतंत्र जांच आयोग का अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर नियुक्त किया है। गौरतलब है कि 2001 में बांग्लादेश-भारत सीमा पर हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसमें भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 16 वीर जवान शहीद हो गए थे। उस समय फजलुर रहमान बांग्लादेश राइफल्स (बीडीआर) के प्रमुख के पद पर तैनात थे। वर्तमान में उन्हें सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय डिवीजन जज के समकक्ष दर्जा प्राप्त है। इस सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी ने 2009 के पिलखाना हत्याकांड के पीछे किसी विदेशी साजिश का पर्दाफाश करने की कसम खाई है। उन्होंने विवादास्पद रूप से यह भी दावा किया है कि मूल विद्रोह की जांच में एक गहरी साजिश का खुलासा हुआ है।