वॉशिंगटन/इस्लामाबाद। अमेरिका ने उन मीडिया रिपोर्टों का सख्ती से खंडन किया है जिनमें यह दावा किया जा रहा था कि अमेरिका ने पाकिस्तान को उन्नत AIM-120 एयर-टू-एयर मिसाइल (AMRAAMs) की बिक्री को मंजूरी दे दी है। अमेरिकी सरकार ने पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे इस “प्रोपेगंडा” को झूठा बताया है।
पाकिस्तान ने दावा किया था कि अमेरिकी रक्षा सौदे में नियमों में बदलाव के बाद उसे हवा से हवा में मार करने वाली AIM-120 मिसाइलों की आपूर्ति के लिए हरी झंडी मिल गई है। यह अफवाह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और आर्मी चीफ की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कथित मीटिंग के बाद फैलाई गई थी।
अमेरिकी दूतावास का आधिकारिक खंडन
अमेरिकी दूतावास ने इस मामले पर एक आधिकारिक बयान जारी करते हुए मीडिया रिपोर्ट्स को झूठा और भ्रामक करार दिया।
बयान में स्पष्ट रूप से कहा गया है:
“इस अनुबंध संशोधन का कोई भी हिस्सा पाकिस्तान को नई एडवांस्ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल (AMRAAMs) की आपूर्ति से संबंधित नहीं है।”
अमेरिकी युद्ध विभाग (Department of Defense) ने 30 सितंबर 2025 को जो लिस्ट जारी की थी, उसमें पाकिस्तान सहित कई देशों के लिए पुराने रक्षा समझौते में कुछ बदलाव किए गए थे। अमेरिका ने साफ किया कि यह बदलाव केवल रखरखाव (Maintenance) और स्पेयर पार्ट्स (Spare Parts) की आपूर्ति से जुड़ा है, न कि नई मिसाइलों की बिक्री से।
‘कोई मिसाइल नहीं दी जा रही, सिर्फ मरम्मत का अनुबंध’
अमेरिकी प्रशासन ने दो टूक स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान को कोई नई AIM-120 AMRAAM मिसाइल नहीं दी जा रही है। यह अनुबंध केवल पहले से मौजूद मिसाइल सिस्टम्स की देखभाल और मरम्मत के लिए है। इसका उद्देश्य पाकिस्तान की सैन्य क्षमता में इजाफा करना नहीं है।
पिछले कुछ दिनों में कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स और क्षेत्रीय प्रकाशनों ने रिपोर्ट किया था कि पाकिस्तान को AIM-120 मिसाइलें मिलने वाली हैं, जिससे उसके F-16 बेड़े की क्षमताओं में बड़ा इजाफा होगा और क्षेत्रीय हवाई संतुलन प्रभावित हो सकता है। इन रिपोर्ट्स ने दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के बीच पाकिस्तान की ताकत बढ़ाने पर जोर दिया था।
दरअसल, अमेरिकी रक्षा कंपनी रेथियॉन (Raytheon) के साथ किए गए मूल अनुबंध में AIM-120C8 और AIM-120D3 मिसाइलों के अपग्रेड और निर्माण का उल्लेख किया गया था, जिनके 35 खरीदारों में पाकिस्तान को भी शामिल बताया गया था। अमेरिकी सरकार ने अब आधिकारिक तौर पर इस दावे को खारिज कर दिया है।
