साल 2024 बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए निश्चित रूप से उथल-पुथल भरा रहा, जब देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्हें पद छोड़ना पड़ा और देश छोड़कर जाना पड़ा। अब उनके इस तख्तापलट से जुड़ा एक महत्वपूर्ण खुलासा हुआ है, जो उनके आखिरी शब्दों को सामने लाता है।
नई दिल्ली: साल 2024 बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित हुआ। देश में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन अब शेख हसीना के इस तख्तापलट से जुड़ा एक अहम खुलासा सामने आया है, जो उस तनावपूर्ण क्षण की गंभीरता को दर्शाता है।
बांग्लादेश के एक प्रमुख समाचार पत्र Prothom Alo की रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल के वकील मोहम्मद ताजुल इस्लाम ने एक कोर्ट सुनवाई के दौरान शेख हसीना के इस्तीफे से जुड़े वाकये का खुलासा किया। ताजुल इस्लाम ने बताया कि 5 अगस्त 2024 को, जब तख्तापलट के दौरान सेना के अधिकारियों ने शेख हसीना से इस्तीफा देने को कहा था, तो इस पर शेख हसीना ने दृढ़ता से कहा था, “मुझे गोली मार दो और यहां बंगभवन (राष्ट्रपति आवास) में ही दफना दो।” ये शेख हसीना के पद से इस्तीफा देने से पहले के उनके आखिरी शब्द थे। इसके बाद शेख हसीना ने भारत में शरण ली थी।
पिछले साल बांग्लादेश में हुआ था तख्तापलट
पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हो गया था। उनके बाद मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया बनाया गया था। मोहम्मद यूनुस को कुछ ही महीनों के लिए अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया था, और दावा किया गया था कि अगले कुछ महीनों में चुनाव कराए जाएंगे। हालांकि, अभी तक चुनाव के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बांग्लादेश में छात्र लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं और मोहम्मद यूनुस सरकार पर गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
पिछले साल बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के बाद से सेना ने मोर्चा संभाला हुआ है। ऐसे में अब सेना चाहती है कि देश में जल्द से जल्द चुनाव कराए जाएं ताकि सैनिक अपने बैरकों में लौट सकें। बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। शेख हसीना के सत्ता छोड़ने के बाद से बांग्लादेश सेना की आपात बैठकें भी हुई हैं, जिनमें पांच लेफ्टिनेंट जनरल, आठ मेजर जनरल (जीओसी), स्वतंत्र ब्रिगेडों के कमांडिंग अधिकारी और सेना मुख्यालय के अन्य प्रमुख अधिकारियों ने भाग लिया था। यह दर्शाता है कि बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति अभी भी अस्थिर बनी हुई है और आगे क्या होगा, यह स्पष्ट नहीं है।