चंद्रयान-1 ने दी सटीक जानकारी, पृथ्वी से ही पहुंचा था चंद्रमा पर पानी

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चंद्रयान-1 और अमेरिकी वैज्ञानिकों के बीच चंद्रमा पर पानी के होने के सर्वोत्तम स्रोत का खुलासा

चंद्रयान-1 की मिशन की महत्वपूर्ण जानकारियों ने साबित किया है कि चंद्रमा पर पानी होने के सबूत पहले से ही मौजूद थे, लेकिन अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अब इसे और भी गहराई से अध्ययन किया है और खुलासा किया है कि इस पानी का मूल स्रोत पृथ्वी से ही है। इस खुदाई के माध्यम से हमें चंद्रमा पर कितना पानी है, इसके रूप में कैसे है, और यह कैसे यहाँ आया, जैसे सवालों के जवाब मिलते हैं।

साल 2008 में, भारत के चंद्रयान-1 मिशन ने सबसे पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पानी की मौजूदगी की खबर दी थी, जो बर्फ के रूप में पाया गया था। अब एक नई अमेरिकी अध्ययन ने इस पानी के मूल स्रोत को पृथ्वी की प्लाज्मा शीट से जोड़ा है। यह जानने के लिए महत्वपूर्ण है कि चंद्रमा पर मानव अभियान के लिए यह जानकारी कैसे उपयोगी हो सकती है और इसके साथ ही चंद्रमा की मौसम की भी समझ में मदद मिल सकती है।

अमेरिकी अध्ययन में खुलासा हुआ है कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट के उच्च ऊर्जा वाले इलेक्ट्रॉन चंद्रमा के मौसम को प्रभावित कर सकते हैं, जिसका परिणामस्वरूप पानी चंद्रमा पर पाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में, सूर्य की सौर पवनें पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड की अंतरक्रिया को प्रेरित करती हैं, जिससे प्रथमिक प्रक्रिया आरंभ होती है, और इससे चंद्रमा के अपने मौसम को प्रभावित करने वाली पूंछ या प्लाज्मा शीट बनती है।

यह खुदाई चंद्रमा के वे इलाके को भी प्रकट कर सकती है जहाँ सूर्य की किरणें पहुंच नहीं पाती हैं, और वहाँ पानी के होने पर रोशनी की तरह कार्य कर सकती है। इस खोज के माध्यम से, हम पृथ्वी की प्लाज्मा शीट के रोल को भी समझ सकते हैं, जिसका महत्वपूर्ण भूमिका पृथ्वी की सुरक्षा में होता है, क्योंकि यह आवेशित कणों से हमें सुरक्षा प्रदान करता है।

इस रूप में, चंद्रमा की खोज और अध्ययन हमारे बूढ़े पड़ोसी प्लेनेट से सीखने और उसके समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसके अलावा इससे हमारे सौर प्रणाली के बारे में भी नई जानकारी मिलती है।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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