नई दिल्ली: हमास और इजरायल के बीच जारी संघर्ष के बीच एक नया खुलासा सामने आया है। 7 अक्टूबर, 2022 को इजरायल पर हुए हमले की योजना कई वर्षों से बनाई जा रही थी और इसे 9/11 की तर्ज पर एक बड़े हमले के रूप में अंजाम देने की तैयारी थी। हालिया रिपोर्टों के अनुसार, इस हमले की योजना के पीछे कई अहम रणनीतियाँ और संवाद शामिल थे, लेकिन कुछ कारणों से इसे टालना पड़ा।
इस हमले में 1,200 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों को बंधक बनाया गया, जिससे क्षेत्र में व्यापक हिंसा और संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई। हमास की योजना में ईरान और हिजबुल्लाह से वित्तीय और सैन्य सहायता की मांग की गई थी। सूत्रों के मुताबिक, अमास नेता याह्या सिनवार और उनके सहयोगियों के बीच हुई बैठकें जनवरी 2022 से अगस्त 2023 तक जारी रहीं, जिसमें संभावित लक्ष्यों और लॉजिस्टिक रणनीतियों पर चर्चा की गई।
ईरान से सहयोग की मांग
हमास ने ईरान और हिजबुल्लाह से सक्रिय रूप से मदद मांगी थी। जून 2021 में, सिनवार ने ईरानी अधिकारियों को पत्र लिखकर 7 अक्टूबर के हमले के लिए वित्तीय सहायता की मांग की। हालांकि, गाजा के कारण हमास की योजना में रुकावट आई और इसे समय पर लागू नहीं किया जा सका।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इस हमले को लेकर चौंकित था, और पश्चिमी देशों का आरोप है कि हमास जैसे संगठनों को ईरान से समर्थन मिलता है। हालांकि, ईरान ने इस हमले से अपने संबंध को नकार दिया है।
इस प्रकार, हमास की योजना एक बड़े हमले के लिए तोड़फोड़ के बावजूद, वैश्विक राजनीति में नई चुनौतियों को उजागर करती है। इस खुलासे ने यह भी साबित किया है कि आतंकवाद की रणनीतियाँ अक्सर दीर्घकालिक होती हैं और उनके पीछे की साजिशें जटिल होती हैं।