कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की पोल खुल गई है। ट्रूडो ने खुद स्वीकार किया है कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में भारत के खिलाफ उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है। यह जानकारी उन्होंने बुधवार को ओटावा में संघीय चुनावी प्रक्रियाओं और लोकतांत्रिक संस्थानों में विदेशी हस्तक्षेप की सार्वजनिक जांच के दौरान दी।
ट्रूडो का यह बयान तब आया है जब भारत और कनाडा के बीच के रिश्ते काफी तनावपूर्ण हो गए हैं। कनाडा ने आरोप लगाया है कि भारत अपनी धरती पर आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। ट्रूडो ने कमेटी के सामने कहा, “यह मुख्य रूप से खुफिया जानकारी पर आधारित था, न कि ठोस सबूतों पर।”
उन्होंने अपने पहले के दावों को दोहराते हुए कहा कि उनके पास खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों के शामिल होने के “विश्वसनीय सबूत” हैं। ट्रूडो ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का भी नाम लिया, जिनका उल्लेख पहले रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) द्वारा निज्जर की हत्या में संदिग्ध के रूप में किया गया था।
इस मामले में कूटनीतिक विवाद तब और बढ़ गया जब कनाडा ने ओटावा में भारतीय राजनयिकों को ‘पर्सन्स ऑफ इंट्रेस्ट’ करार दिया और उन पर पिछले सितंबर में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया।
जस्टिन ट्रूडो के इस हालिया बयान ने उनके द्वारा किए गए आरोपों की विश्वसनीयता को सवालों के घेरे में डाल दिया है। भारत के खिलाफ लगाए गए आरोपों के पीछे कोई ठोस सबूत न होने से यह स्पष्ट होता है कि ट्रूडो की नीति में अनियमितता है।