तहव्वुर राणा के बाद नीरव मोदी का आ गया नंबर; जमानत याचिका खारिज, ब्रिटिश कोर्ट का झटका, भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ, अब हिसाब होगा

Manisha singh
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तहव्वुर राणा के बाद नीरव मोदी का आ गया नंबर; जमानत याचिका खारिज, ब्रिटिश कोर्ट का झटका, भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ, अब हिसाब होगा

लंदन: भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी को लंदन की एक अदालत से एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए उसने जो जमानत याचिका दायर की थी, उसे गुरुवार को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। नीरव ने अपनी जान को खतरा बताते हुए यह दलील दी थी कि वह जमानत मिलने के बाद ब्रिटेन से कहीं नहीं भागेगा, लेकिन अदालत ने उसकी इस दलील को नहीं माना। इस फैसले के बाद नीरव मोदी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता लगभग साफ हो गया है।

पीएनबी घोटाले का आरोपी, 2018 में भागा था भारत से

नीरव मोदी पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाले का मुख्य आरोपी है। वह 2018 में भारत से भाग गया था, हालांकि घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद 2019 में उसे लंदन में गिरफ्तार कर लिया गया था। तब से वह ब्रिटेन की जेल में बंद है और भारत लगातार उसके प्रत्यर्पण का प्रयास कर रहा है।

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वकील की दलीलें और कोर्ट का फैसला

नीरव मोदी के वकील एडवर्ड फिट्जगेराल्ड ने अदालत में दलील दी कि 55 वर्षीय नीरव मोदी ने किसी भी गलत काम से साफ इनकार किया है। उन्होंने बताया कि उसे भारत प्रत्यर्पित करने के फैसले के खिलाफ उसकी अपील को लंदन के उच्च न्यायालय ने नवंबर 2022 में पहले ही खारिज कर दिया था। इसके अलावा, उसके मामले को ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय में ले जाने की मांग को भी खारिज किया जा चुका है।

फिट्जगेराल्ड ने एक गोपनीय कानूनी कारण का हवाला देते हुए यह तर्क भी दिया कि भले ही प्रत्यर्पण का मामला तकनीकी रूप से समाप्त हो चुका है, लेकिन नीरव मोदी को अभी भी भारतीय अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण नहीं कराया जा सकता। उन्होंने इस गोपनीय कारण का विस्तार से खुलासा नहीं किया।

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वहीं, भारतीय अधिकारियों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील निकोलस हर्न ने नीरव मोदी की जमानत का पुरजोर विरोध किया। उन्होंने तर्क दिया कि नीरव मोदी को जमानत नहीं दी जानी चाहिए, क्योंकि वह भागने की कोशिश कर सकता है। हर्न ने नीरव मोदी की वानुअतु की नागरिकता के लिए पिछली कोशिश का भी हवाला दिया। उन्होंने यह भी कहा कि नीरव मोदी जमानत पर रिहा होने पर गवाहों के काम में दखलंदाजी कर सकता है।

हालांकि, फिट्जगेराल्ड ने तर्क दिया कि नीरव मोदी भारत सरकार के डर से ब्रिटेन से नहीं भागेगा, क्योंकि उसे अपनी जान का खतरा है। लेकिन, कोर्ट ने इन दलीलों को स्वीकार नहीं किया और जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

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यह फैसला भारत सरकार के लिए एक बड़ी जीत मानी जा रही है, जो आर्थिक अपराधियों को वापस लाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। अब यह देखना होगा कि गोपनीय कानूनी कारणों की बात पर आगे क्या होता है और नीरव मोदी को भारत कब तक प्रत्यर्पित किया जाता है।

 

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