इस्लामाबाद/नई दिल्ली। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के अमेरिका के लिए “डर्टी वर्क” करने वाले बयान पर अभी विवाद थमा भी नहीं था कि पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी ने भी पाकिस्तान के आतंकवाद से भरे इतिहास को स्वीकार कर लिया है। भुट्टो ने कहा कि यह कोई रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान का इतिहास दुर्भाग्यपूर्ण रहा है और इससे देश को नुकसान हुआ है।
एक साक्षात्कार में बिलावल भुट्टो ने कहा, “जहां तक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान का सवाल है, मुझे नहीं लगता कि यह कोई रहस्य है कि पाकिस्तान का इतिहास रहा है। इससे पाकिस्तान को नुकसान हुआ है। हमने हर बार कट्टरपंथ को झेला है। लेकिन इससे हमें नुकसान हुआ है तो हमने इससे सबक भी लिया है। इस समस्या को सुलझाने में हमने अंदरूनी सुधार भी किए हैं।”
भुट्टो ने आगे कहा कि पाकिस्तान का इतिहास दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। इससे पहले, मीरपुर खास में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान एक शांतिप्रिय देश है और इस्लाम शांतिपूर्ण धर्म है। हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर कोई हमारे सिंधु पर हमला करेगा तो उन्हें भी युद्ध के लिए तैयार हो जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “हम युद्ध के ढोल नहीं पीटते, लेकिन अगर हमें उकसाया गया तो पाकिस्तान की दहाड़ से आप बहरे हो जाओगे।”
गौरतलब है कि पाकिस्तान का आतंकवाद को समर्थन देने और टेरर फंडिंग करने का लंबा इतिहास रहा है। ख्वाजा आसिफ ने भी स्वीकार किया था कि पाकिस्तान ने 30 साल से अमेरिका के लिए “गंदा काम” किया है। भारत के साथ “ऑल आउट वॉर” की बात करने वाले ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा खत्म हो चुका है, हालांकि उन्होंने माना कि अतीत में इस आतंकी संगठन के पाकिस्तान से संबंध थे।
आसिफ ने यह भी कहा था कि पाकिस्तान हाई अलर्ट पर है और वह अपने परमाणु हथियारों का इस्तेमाल केवल तभी करेगा जब उसके अस्तित्व पर सीधा खतरा होगा। उन्होंने युद्ध की संभावना को भी “स्पष्ट” बताते हुए कहा था कि अगले दो से तीन या चार दिनों में युद्ध हो सकता है, लेकिन इसे टाला जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि अगर पाकिस्तान की संप्रभुता को खतरा होता है तो वह इसका सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है।
बिलावल भुट्टो और ख्वाजा आसिफ के इन बयानों ने पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़े इतिहास को एक बार फिर से सुर्खियों में ला दिया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान इस स्वीकारोक्ति के बाद अपनी नीतियों में क्या बदलाव लाता है और आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाता है या नहीं।