पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का कहर: 4 लोगों को मौत की सजा, जानिए क्यों है ये कानून इतना विवादास्पद

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पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून का कहर: 4 लोगों को मौत की सजा, जानिए क्यों है ये कानून इतना विवादास्पद
  • ईशनिंदा कानून के तहत मृत्युदंड की सजा

  • अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहा खतरा

पाकिस्तान के रावलपिंडी की एक अदालत ने सोमवार को चार व्यक्तियों को ईशनिंदा के आरोप में मौत की सजा सुनाई। यह फैसला पाकिस्तान ईशनिंदा कानून आयोग (LCBP) के वकील राव अब्दुर रहीम ने पुष्टि किया। आरोपियों पर यह आरोप था कि उन्होंने फेसबुक पर विभिन्न आईडी के जरिए पैगंबर मुहम्मद, उनके साथियों और पत्नियों के अपमानजनक पोस्ट किए थे। यह घटना पिछले शनिवार को सामने आई, जब पाकिस्तानी अधिकारियों ने इस मामले की जानकारी दी।

फेसबुक पोस्ट के लिए मिली मौत की सजा

पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून के तहत, अगर कोई व्यक्ति इस्लाम या धार्मिक प्रतीकों के अपमान का दोषी पाया जाता है तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास का सामना करना पड़ सकता है। वकील राव अब्दुर रहीम के अनुसार, आरोपियों ने शुक्रवार को ऑनलाइन ईशनिंदा सामग्री पोस्ट करने के लिए मौत की सजा सुनी। इसके अलावा, फॉरेंसिक सबूतों ने भी आरोपियों को दोषी साबित किया, जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से मिले थे।

ईशनिंदा कानून पर ऐतिहासिक नजर

पाकिस्तान का ईशनिंदा कानून ब्रिटिश साम्राज्य से विरासत में मिला था और 1980 के दशक में जनरल जिया उल-हक के शासन में इसे और अधिक सख्त बनाया गया। यह कानून कहता है कि अगर कोई व्यक्ति पैगंबर मुहम्मद या इस्लाम के अन्य धार्मिक प्रतीकों का अपमान करता है तो उसे मृत्युदंड या आजीवन कारावास हो सकता है।

पाकिस्तान में ईशनिंदा से जुड़ी सजा का प्रावधान अक्सर विवादों का कारण बनता है, क्योंकि कई मामलों में दोषी व्यक्तियों के परिवार इस फैसले को चुनौती देते हैं। इसके अलावा, ऐसे मामलों में न्यायिक दबाव और हिंसा भी बढ़ती है।

मॉब लिंचिंग और हिंसा के बढ़ते मामले

पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपियों के खिलाफ भीड़ हिंसा (मॉब लिंचिंग) के कई मामले सामने आए हैं। 1990 से 2023 तक ऐसे कम से कम 85 संदिग्धों को भीड़ ने मौत के घाट उतार दिया। इन मामलों में कई बार आरोपी बिना मुकदमे के ही मारे जाते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोप में 53 लोग हिरासत में हैं, जिनके खिलाफ स्थानीय अदालतों ने कार्रवाई की है।

क्यों जरूरी है ईशनिंदा कानून पर बहस?

पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून पर किसी भी प्रकार की बहस या विरोध जताना लगभग असंभव है, क्योंकि इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को जान से मारने का खतरा हो सकता है। 2011 में गवर्नर सलमान तासीर ने ईशनिंदा कानून में सुधार की बात की थी, लेकिन उन्हें उनके ही बॉडीगार्ड ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद, इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक बहस नहीं हो पाई और इसने पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति को और जटिल बना दिया है।

धार्मिक अल्पसंख्यकों का खतरा

मानवाधिकार समूहों के अनुसार, पाकिस्तान में ईशनिंदा के आरोपों का शिकार अक्सर धार्मिक अल्पसंख्यक समुदाय के लोग होते हैं। देश की 25 करोड़ की आबादी में 1.3 प्रतिशत ईसाई हैं, जो विशेष रूप से इस खतरे का शिकार होते हैं। हाल ही में लाहौर, गोजरा और इस्लामाबाद जैसे इलाकों में अल्पसंख्यकों को ईशनिंदा के आरोपों में जलाया और हमला किया गया।

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Manisha Singh is a freelancer, content writer,Yoga Practitioner, part time working with AgraBharat.
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