Pakistan Iran Conflict: ईरान और पाकिस्तान में तनाव बढ़ता ही जा रहा है। दोनों देशों ने एक दूसरे के यहां सैन्य कार्रवाई करने के दावे किए हैं। हालांकि, दोनों देश कभी एक दूसरे के साथी हुआ करते थे। 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान बनने के बाद इसे मान्यता देने वाला पहला देश ईरान ही था।
एशिया में दो और देशों के बीच कूटनीतिक तनाव उत्पन्न हो गया है। मंगलवार को ईरान की सेना ने ब्लूचिस्तान में एयर स्ट्राइक (Air Strick) कर दी। जवाब में पाकिस्तान ने दावा किया कि उसकी सेना ने ईरान की सीमा में घुसकर कथित आतंकी ठिकानों पर हमला किया है।
बुधवार को पाकिस्तान ने ईरानी राजदूत को तलब किया था। हमले को लेकर ईरान ने भी स्पष्ट किया कि उसके नागरिकों के खिलाफ आतंकी कार्रवाई पर देश की प्रतिक्रिया निर्णायक और सख्त होगी। इन कार्रवाइयों के चलते दोनों देशों में तनाव काफी बढ़ चुका है। कभी ईरान और पाकिस्तान एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे पर अब दोनों एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं।
पाकिस्तान और ईरान के बीच तनाव का इतिहास लंबा है। दोनों देश कभी एक दूसरे के घनिष्ठ मित्र हुआ करते थे, लेकिन आज एक दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करने की धमकी दे रहे हैं। आइए जानते हैं कि दोनों देशों के बीच तनाव की शुरुआत कैसे हुई और अब यह कहां तक पहुंच गया है।
दोनों देशों के बीच तनाव की शुरुआत
पाकिस्तान और ईरान के बीच तनाव की शुरुआत 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति के बाद हुई। इस क्रांति के बाद ईरान ने अमेरिका और उसके सहयोगियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। पाकिस्तान उस समय अमेरिका का करीबी सहयोगी था। इसके अलावा, ईरान और पाकिस्तान के बीच धार्मिक मतभेद भी बढ़ते गए। ईरान एक शिया बहुल देश है, जबकि पाकिस्तान एक सुन्नी बहुल देश है।
दोनों देशों के बीच हालिया तनाव तब उत्पन्न हुआ जब ईरान ने मंगलवार शाम (16 जनवरी) को पाकिस्तान में आतंकी संगठन जैश अल-अदल के ठिकानों पर बमबारी की। ईरान के इस्लामिक रेवोल्यूशन गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) ने ब्लूचिस्तान प्रांत के एक गांव पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिसमें जैश अल-अदल के दो प्रमुख मुख्यालय तबाह हो गए। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि हमले में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई और तीन लड़कियां घायल हो गईं।
ईरान की यह कार्रवाई उसके द्वारा हाल ही में किए गए हमलों की शृंखला का ही हिस्सा थी। पाकिस्तान में हमले से महज कुछ ही घंटे पहले ईरान ने सीरिया और इराक में भी मिसाइल हमले किए थे। दरअसल, ईरान के करमन शहर में दोहरे आत्मघाती बम विस्फोट में 80 से अधिक ईरानी नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने ली थी। ईरान को शक था कि हमले में जैश अल-अदल का भी हाथ हो सकता है।
ईरान ने क्या कदम उठाया है?
वहीं अब हमले के बारे में जानकारी लेने के लिए ईरान ने पाकिस्तान प्रभारी डी’एफेयर को अपने विदेश मंत्रालय में तलब किया है। जानकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह पाकिस्तानी प्रतिनिधि ने अपना बयान दर्ज कराया है।
दोनों देशों के रिश्ते कैसे रहे हैं?
ईरान का क्षेत्रफल पाकिस्तान से दोगुने से भी ज्यादा है जबकि इसकी जनसंख्या पाकिस्तान की लगभग एक-तिहाई है। प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण ईरान के पास दूसरा सबसे बड़ा गैस भंडार, चौथा सबसे बड़ा कच्चा तेल भंडार और महत्वपूर्ण गैर-ईंधन खनिज संसाधन हैं।
ईरान और पाकिस्तान के रिश्ते शुरुआत से मधुर रहे हैं। 14 अगस्त 1947 को ईरान पाकिस्तान को मान्यता देने वाला पहला देश था। ईरान वह देश भी है जहां विदेश में पाकिस्तान का पहला दूतावास खोला गया था। दोनों देशों के रिश्तों में तीन मुद्दे (ऊर्जा, सीमा और व्यापार) अत्यंत महत्वपूर्ण रहे हैं। वहीं रक्षा क्षेत्र में दोनों ने आपसी सहयोग किया है।
पाकिस्तान ने जवाबी कार्रवाई को लेकर क्या दावा किया है?
अब पाकिस्तान ने भी आतंकियों के ठिकानों पर मिलिट्री स्ट्राइक करना का दावा किया है। इसके विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गुरुवार सुबह 4:50 बजे पाकिस्तानी वायुसेना ने ईरान के सिस्तान-ब्लूचिस्तान प्रांत में सरावन शहर में आतंकियों के ठिकानों पर स्ट्राइक की। इस कार्रवाई में सात विदेशी मारे गए हैं जिसमें चार महिलाएं और तीन बच्चे शामिल हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘खुफिया सूचना के आधार पर यह कार्रवाई की गई। इस ऑपरेशन को मार्ग बार सरमाचार नाम दिया गया। बीते कई सालों से हम इसे लेकर ईरान से बात कर रहे थे। लगातार ईरान के सामने अपनी चिंताएं जाहिर की कि कैसे ईरान का गैर प्रशासित इलाका आतंकियों की पनाहगाह बन गया था। पाकिस्तान ने इसे लेकर ईरान को कई बार डॉजियर भी सौंपा था। साथ ही आतंकी गतिविधियों के कई सबूत भी दिए गए थे।’
आतंकवाद के मुद्दे पर तनाव
आतंकवाद के मुद्दे पर भी दोनों देशों के बीच तनाव है। ईरान का आरोप है कि पाकिस्तान के आंतरिक इलाकों से जैश अल-अदल जैसे आतंकवादी संगठन ईरान के खिलाफ हमले कर रहे हैं। पाकिस्तान का कहना है कि ईरान के गैर-प्रशासित इलाकों से आतंकवादी पाकिस्तान में घुसकर आतंकी गतिविधियों में शामिल होते हैं। कभी दोस्त रहे देशों के बीच आतंकवाद ने भी एक बड़ी खाईं पैदा की।
ईरान और पाकिस्तान एक दूसरे पर आरोप लगाते रहे हैं कि कुछ उग्रवादी समूह लगातार सीमा पार आतंकवाद में लिप्त हैं। ऐसा ही एक समूह जुंदाल्लाह हुआ करता था। इस आतंकवादी संगठन के नेता को 2010 में ईरान में फांसी दी गई थी। तब से संगठन के सदस्य जैश अल-अदल सहित कई अलग-अलग नामों से आतंकी कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं। जैश अल-अदल संगठन ईरान के दक्षिण-पूर्वी प्रांत सिस्तान-बलूचिस्तान में सक्रिय है।
सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने का दावा करने वाले गुट ने पिछले कुछ वर्षों में ईरानी सुरक्षा बलों पर कई हमले किए हैं। पहला बड़ा हमला अक्तूबर 2013 में हुआ था। दिसंबर 2023 में जैश अल-अदल ने सिस्तान-बलूचिस्तान में एक पुलिस चौकी पर हमले की जिम्मेदारी ली, जिसमें 11 पुलिसकर्मियों की मौत हुई थी। मंगलवार को ईरानी सेना ने इसी संगठन के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की है।
पाकिस्तान ने 1965 में भारत के साथ युद्ध किया था जिसमें उसकी हार हुई। इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना को ईरान से मदद मिली थी। दोनों देश अमेरिका के नेतृत्व वाले सीटो और सेंटो रक्षा समझौते के सदस्य भी बने। इसके अलावा ईरान ने पाकिस्तानी छात्रों के लिए अपने विश्वविद्यालय खोले। यही कारण है कि ईरान के शासक को पाकिस्तान अपना सबसे बड़ा मित्र मानता रहा है।
ईरान में इस्लामी क्रांति और पाकिस्तान से रिश्तों में दरार
ईरान के साथ पाकिस्तान के रिश्ते ज्यादा समय तक मुधर नहीं रह पाए। 1979 में अयातुल्ला खामेनेई की इस्लामी क्रांति और अफगानिस्तान पर सोवियत संघ आक्रमण ने दोनों देशों की दोस्ती में खटास ला दी। पाकिस्तानी प्रोफेसर और लेखक परवेज अमिराली हुदभॉय एक लेख में दावा करते हैं कि जैसे ही ईरान और अमेरिका के रिश्ते बिगड़े, पाकिस्तान सोवियत संघ से लड़ने के लिए अमेरिकियों के साथ शामिल हो गया। सऊदी के पैसे से दोनों ने मजहबी गुट पश्तून मुजाहिदीन बनाया और उसे हथियारबंद किया। ईरान ने भी मुजाहिदीन का समर्थन किया लेकिन ताजिक उत्तरी गठबंधन वाले गुट का। जैसे-जैसे पाकिस्तान और ईरान के मामलों में मजहब सामने आया, तो दोनों के रिश्तों में मतभेद बढ़ते गए। दरअसल, पाकिस्तान सुन्नी मूल का देश है जबकि ईरान में शिया मुस्लिम बहुतायत में हैं। 1990 के दशक में पाकिस्तान में दोनों समुदायों के बीच तनाव हुआ जिसको लेकर पाकिस्तान ने ईरान पर शियाओं को भड़काने का आरोप लगाया।
1990 में पाकिस्तान के लाहौर में ईरान के राजदूत सादिक गंजी की हत्या कर दी गई थी। पाकिस्तान के पूर्व पुलिस अधिकारी हसन अब्बास ने हत्या के पीछे आईएसआई का हाथ बताया था। इसी समय ईरान की वायुसेना के कैडेटों को भी मार दिया गया। इन घटनाओं की वजह से दोनों देशों के रिश्ते और खराब हो गए।
ताजा टकराव
ताजा टकराव की शुरुआत 16 जनवरी, 2024 को हुई जब ईरान की सेना ने पाकिस्तान के ब्लूचिस्तान प्रांत में जैश अल-अदल के ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की। इस हमले में दो मासूम बच्चों की मौत हो गई। इसके जवाब में पाकिस्तान ने 19 जनवरी को ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में आतंकियों के ठिकानों पर हवाई हमला किया। इस हमले में सात विदेशी नागरिक मारे गए।