चीन के जाल में फंसता जा रहा पाक, न यात्री, न विमान; फिर भी बना डाला सबसे महंगा एयरपोर्ट

Saurabh Sharma
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चीन के जाल में फंसता जा रहा पाक, न यात्री, न विमान; फिर भी बना डाला सबसे महंगा एयरपोर्ट

ग्वादर एयरपोर्ट: चीन के तोहफे की असली तस्वीर, पाकिस्तान के लिए उम्मीदें और हकीकत

जनवरी में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने बलूचिस्तान के ग्वादर एयरपोर्ट के उद्घाटन के समय बड़ा बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “ग्वादर एयरपोर्ट हमें चीन ने तोहफे में दिया है और हमें इसका सम्मान करना चाहिए। यह न केवल बलूचिस्तान बल्कि पूरे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचाएगा।” लेकिन अब उनकी ये उम्मीदें धूमिल होती नजर आ रही हैं। एयरपोर्ट का उद्घाटन तो हुआ है, लेकिन न तो यहां कोई विमान आ रहे हैं और न ही कोई यात्री नजर आ रहे हैं।

चीन ने 24 करोड़ डॉलर में बनाया एयरपोर्ट, लेकिन हालात जस के तस

ग्वादर एयरपोर्ट, जो पाकिस्तान का सबसे नया और महंगा एयरपोर्ट है, फिलहाल वीरान पड़ा हुआ है। अक्टूबर 2024 में तैयार हुआ यह एयरपोर्ट पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित है, जो एक गरीब और अशांत इलाका है। चीन ने यह एयरपोर्ट पाकिस्तान के साथ चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) के तहत बनाया था। यह प्रोजेक्ट चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को अरब सागर से जोड़ने के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अब इस एयरपोर्ट की स्थिति से स्थानीय लोग नाराज हैं।

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CPEC: एक सपना, जो वास्तविकता से बहुत दूर

CPEC के तहत चीन बलूचिस्तान और ग्वादर में बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में निवेश कर रहा है, लेकिन ग्वादर शहर की स्थिति अभी भी बहुत खराब है। यहां की बिजली सप्लाई ईरान से आती है और पानी की भी भारी कमी है। स्थानीय लोग सौर ऊर्जा का इस्तेमाल करने को मजबूर हैं। पाकिस्तान-चीन संबंधों के विशेषज्ञ अजीम खालिद का कहना है कि चीन ने यह एयरपोर्ट अपने नागरिकों की सुविधा के लिए बनाया है और यह पाकिस्तान के लिए नहीं है।

बलूचिस्तान में बढ़ता विरोध और असंतोष

बलूचिस्तान में हमेशा से ही पाकिस्तान सरकार और चीनी प्रोजेक्ट्स के खिलाफ गुस्सा रहा है। बलूच अलगाववादी समूहों का कहना है कि पाकिस्तान सरकार उनकी उपेक्षा करती है और उनके संसाधनों का दोहन करती है। वे मानते हैं कि CPEC ने उनकी स्थिति को और भी खराब कर दिया है। बलूचिस्तान के लोग यह महसूस करते हैं कि चीन और पाकिस्तान के लिए बनाए गए प्रोजेक्ट्स से उन्हें कोई फायदा नहीं हो रहा।

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पाकिस्तानी सेना ने ग्वादर में सुरक्षा बढ़ा दी है और शहर को हाई सिक्योरिटी वाली जेल बना दिया है। यहां तक कि चीनी इंजिनियरों और पाकिस्तानी वीआईपी के लिए सड़कें कई दिनों तक बंद कर दी जाती हैं। इससे स्थानीय लोग बहुत परेशान हैं।

वादा किया गया “पाकिस्तान का दुबई” अब “हाई सिक्योरिटी जेल” बन गया

जब CPEC समझौता हुआ था, तो बलूचिस्तान को “पाकिस्तान का दुबई” बनाने का वादा किया गया था। लेकिन अब यहां के लोग महसूस करते हैं कि उनका जीवन और भी कठिन हो गया है। स्थानीय लोग आरोप लगाते हैं कि पाकिस्तान और चीन ने उनके साथ भेदभाव किया है और उनका भविष्य अंधकारमय हो गया है।

ग्वादर एयरपोर्ट और पाकिस्तानी सरकार का विश्वास संकट

ग्वादर एयरपोर्ट का उद्घाटन काफी देरी से हुआ और सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और चीनी समकक्ष वर्चुअल तौर पर उद्घाटन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान मीडिया और आम लोगों को भी कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई। बलूचिस्तान अवामी पार्टी के जिला अध्यक्ष अब्दुल गफूर होथ का कहना है कि ग्वादर के एक भी निवासी को एयरपोर्ट पर काम पर नहीं रखा गया, यहां तक कि चौकीदार के रूप में भी बलूच लोगों को नहीं रखा गया।

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चीन का कर्ज और पाकिस्तान की स्थिति

CPEC के तहत चीन ने पाकिस्तान में 65 अरब डॉलर का निवेश किया है, लेकिन यह निवेश पाकिस्तान के लिए भारी कर्ज का कारण बन गया है। पाकिस्तान पर चीन का 26.6 अरब डॉलर कर्ज है, जो दुनिया के किसी भी देश पर सबसे अधिक विदेशी कर्ज है। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार घट रहा है, और यह स्थिति पाकिस्तान की आर्थिक समस्याओं को और बढ़ा रही है।

ग्वादर एयरपोर्ट की स्थिति और CPEC प्रोजेक्ट्स से पाकिस्तान को जो उम्मीदें थीं, वे अब धूमिल होती नजर आ रही हैं। पाकिस्तान की सरकार और बलूचिस्तान के लोग एक-दूसरे के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा है। यहां के लोग महसूस करते हैं कि सरकार और चीन ने उनके भविष्य को नकार दिया है और उनकी उपेक्षा की है।

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