नई दिल्ली: इजरायल और ईरान के बीच चल रहे तनाव के बीच अमेरिका की एंट्री ने मिडिल ईस्ट में हलचल तेज़ कर दी है। खबर है कि अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख न्यूक्लियर ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले किए हैं। इन हमलों के बाद, पाकिस्तान ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर हुए अमेरिकी हमलों की कड़ी निंदा की है।
पाकिस्तान का बयान: अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर इन हमलों को “अंतर्राष्ट्रीय कानून के सभी नियमों का उल्लंघन” बताया है। बयान में कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत ईरान के पास अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।
पाकिस्तान ने मिडिल ईस्ट में मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे उपजी स्थिति बेहद चिंताजनक है, क्योंकि इसके मिडिल ईस्ट और उससे परे भयावह प्रभाव होंगे। पाकिस्तान की सीमा ईरान से लगती है और वह ईरान के साथ 900 किलोमीटर लंबा बॉर्डर साझा करता है। पाकिस्तान ने पहले भी इजरायल और ईरान से जल्द से जल्द इस जंग को खत्म करने का आह्वान किया था, जिसमें उसने सैन्य संघर्ष के बजाय डिप्लोमेसी को शांति का एकमात्र रास्ता बताया था।
ट्रंप के लिए नोबेल पुरस्कार की पैरवी और भारत-पाक संबंध
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने इन हमलों से एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए शांति के नोबेल पुरस्कार की पैरवी की थी। पाकिस्तान सरकार ने ट्रंप का नाम 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए औपचारिक रूप से प्रस्तावित किया था।
पाकिस्तान सरकार ने कहा था कि 2025 में ट्रंप ने जिस तरह से भारत के साथ जंग को कूटनीतिक हस्तक्षेप और महत्वपूर्ण नेतृत्व के ज़रिए सुलझाया, उसकी वजह से ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए प्रस्तावित करने का फैसला किया गया है। पड़ोसी मुल्क ने दावा किया था कि ट्रंप की कोशिशों की वजह से ही भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ था, जिससे युद्ध का बड़ा खतरा टल सका और इसी वजह से ट्रंप नोबेल शांति पुरस्कार के असली हकदार हैं।
यह भी बताया गया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में इस्लामाबाद ने ‘ऑपरेशन बुनयान उन मरसूस’ शुरू किया था, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था। लेकिन ट्रंप के हस्तक्षेप से क्षेत्र में तनाव कम करने में मदद मिली थी।
यह घटनाक्रम मिडिल ईस्ट की अस्थिर स्थिति और वैश्विक शक्तियों के हस्तक्षेप के जटिल प्रभावों को दर्शाता है। क्या आपको लगता है कि अमेरिका का यह कदम क्षेत्र में शांति लाएगा या तनाव और बढ़ाएगा?