पूरे फ्रांस में चर्चा बना ये मामला, जिसे समझा कबाड़ा उसकी कीमत करोड़ों में, जानिए क्या है पूरी कहानी

Manisha singh
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फ्रांस में दुर्लभ मास्क को लेकर कानूनी लड़ाई

फ्रांस में एक दुर्लभ अफ्रीकी मास्क को लेकर कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। यह मास्क 19वीं सदी का है और गैबॉन देश की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। मास्क को 2021 में एक फ्रांसीसी दंपति ने अपने गैराज में खोजा था और उसे कुछ हजार रुपये में बेच दिया था। लेकिन जब मास्क की असली कीमत का पता चला तो दंपति ने उसे वापस पाने के लिए कानूनी लड़ाई शुरू कर दी।

मास्क को खरीदने वाले डीलर का कहना है कि उसने मास्क को सही कीमत पर खरीदा था और उसे मास्क की असली कीमत का पता नहीं था। वहीं गैबॉन सरकार का कहना है कि मास्क उनकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इसे गैबॉन वापस लाया जाना चाहिए।

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मास्क को लेकर यह कानूनी लड़ाई फ्रांस में चर्चा का विषय बनी हुई है। इस मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी।

मास्क की कहानी

मास्क को 2021 में फ्रांस के 88 वर्षीय मिस्टर फोर्नियर और उनकी 81 वर्षीय पत्नी ने अपने गैराज में खोजा था। उन्होंने मास्क को बेकार समझकर एक डीलर को सिर्फ 150 यूरो यानी कि करीब 37 हजार रुपये में बेच दिया। मास्क बेचने के कुछ दिन बाद मिस्टर फोर्नियर को अखबार में वही मास्क दिखाई दिया, जिसकी नीलामी हुई थी। नीलामी में मास्क की करीब 45 लाख डॉलर यानी कि करीब 38 करोड़ रुपये में नीलामी हुई।

फ्रांस में दुर्लभ अफ्रीकी मास्क

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मिस्टर फोर्नियर के दादा रेने विक्टर एडवर्ड मौरिस फोर्नियर गवर्नर थे और जब फ्रांस का मध्य अफ्रीका पर शासन था तो वह अफ्रीका में गवर्नर रहे थे। माना जा रहा है कि वहीं से फोर्नियर के दादा वह मास्क लेकर आए थे। वह अफ्रीकी देश गैबॉन का पारंपरिक मास्क है, जो 19वीं सदी का है। इस मास्क को गैबोन के शक्तिशाली नगिल समुदाय के लोग पहनते थे, जो गैबॉन के फेंग समुदाय का हिस्सा था। नगिल समुदाय के लोग न्याय करने वाले लोग थे। गैबॉन में इस मास्क की काफी सामाजिक और धार्मिक अहमियत है।

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गैबॉन सरकार ने भी ठोका दावा

मास्क की यह कानूनी लड़ाई अब अंतरराष्ट्रीय हो गई है। दरअसल गैबॉन की सरकार ने भी याचिका दायर कर मास्क की दावेदारी वाले मामले को निलंबित करने की मांग की है और कहा है कि यह मास्क उनकी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है और इस मास्क को गैबॉन को लौटा दिया जाना चाहिए। वहीं मास्क बेचने वाले दंपति की मांग है कि नीलामी का पैसा उन्हें दिया जाए। मास्क खरीदने वाले डीलर का तर्क है कि दंपति ने जो कीमत मांगी उसने वही अदा की और उसे भी मास्क खरीदते वक्त इसकी सही कीमत का अंदाजा नहीं था।

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अगली सुनवाई पर सबकी नजरें

बहरहाल अब इस मामले पर अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी और पूरे फ्रांस की नजरें इस सुनवाई पर लगी हैं। बता दें कि फ्रांस के पास अफ्रीकी संस्कृति की कई धरोहरें हैं और लंबे समय से अफ्रीकी देश इन धरोहरों को लौटाने की मांग कर रहे हैं। फ्रांस के मौजूदा राष्ट्रपति भी इसके पक्ष में हैं और कई देशों को उनकी सांस्कृतिक धरोहरें लौटायी भी गई हैं।

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