हर चीज का क्रेडिट लेने की है आदत, भारत-पाक युद्धविराम दावे को नकारा; ट्रंप पर पूर्व NSA बोल्टन का करारा हमला

Manisha singh
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हर चीज का क्रेडिट लेने की है आदत, भारत-पाक युद्धविराम दावे को नकारा; ट्रंप पर पूर्व NSA बोल्टन का करारा हमला

वाशिंगटन डीसी, अमेरिका। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जॉन बोल्टन ने अपने पूर्व बॉस और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस आदत पर तीखी टिप्पणी की है, जिसमें वे हर चीज का श्रेय खुद ले लेते हैं। बोल्टन ने विशेष रूप से भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया युद्धविराम में अमेरिकी मध्यस्थता के ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया है, जिसे भारत पहले ही नकार चुका है।

बोल्टन, जिन्होंने ट्रंप प्रशासन में उच्च पद पर काम किया है, ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “यह ट्रंप की आदत है कि वह मामले में कूद जाते हैं और इससे पहले कि कोई और क्रेडिट ले, वे खुद सारा श्रेय ले जाते हैं। उन्होंने आगे स्पष्ट किया, “यह कुछ भी भारत के खिलाफ निजी नहीं है, यह सिर्फ ट्रंप का ट्रंप होना है।

पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद का दावा

बोल्टन का यह बयान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बाद आया है, जिसमें उन्होंने बुधवार को कहा था कि उन्होंने परमाणु संपन्न पड़ोसी भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता को रोकने में अहम भूमिका निभाई है। ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा के साथ एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “अगर आप देखें कि हमने पाकिस्तान और भारत के साथ क्या किया है – तो हमने उस पूरे मामले को सुलझा लिया है।” उन्होंने इसे व्यापार के माध्यम से सुलझाने का भी दावा किया था।

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हालांकि, जॉन बोल्टन ने ट्रंप के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद अमेरिकी मध्यस्थता के कारण भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम हुआ। इस घातक हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी, जिसके बाद भारत ने बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की थी, जिसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया था। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी शिविरों को निशाना बनाया गया था।

भारत का रुख स्पष्ट

यह भी गौरतलब है कि जब ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने जवाबी हमले में 9 मई को पाकिस्तान के एयरबेस को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद पाकिस्तान सेना के DGMO (सैन्य संचालन महानिदेशक) सीजफायर की गुहार लगाने लगे। तब दोनों देशों के बीच युद्धविराम कराने में अमेरिका के अलावा कई देश शामिल थे। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 10 मई की शाम को ट्वीट किया था कि “संयुक्त राज्य अमेरिका की मध्यस्थता में एक लंबी रात की वार्ता के बाद, मुझे यह घोषणा करते हुए खुशी हो रही है कि भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल युद्धविराम पर सहमत हो गए हैं। दोनों देशों को कॉमन सेंस और अद्भुत बुद्धिमता का उपयोग करने के लिए बधाई। इस मामले पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद!”

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हालांकि, 86 घंटे की लड़ाई के बाद हुए इस युद्धविराम के संबंध में भारत ने हमेशा किसी तीसरे देश की सीधी भागीदारी से इनकार किया है। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने भी स्पष्ट किया है कि युद्धविराम का फैसला दोनों देशों के सैन्य संचालन महानिदेशकों (DGMO) के बीच सीधे संपर्क से हुआ, न कि किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से।

जॉन बोल्टन की टिप्पणी ट्रंप की सुर्खियों में रहने और तथ्यों की परवाह किए बिना श्रेय लेने की आदत को रेखांकित करती है, जैसा कि उन्होंने ईरान, उत्तर कोरिया और अफगानिस्तान पर अमेरिकी विदेश नीति को लेकर भी किया था, जिसके कारण उन्हें अपने पहले कार्यकाल में ट्रंप ने नौकरी से हटा दिया था।

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