बिही दाना एक चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि है, जो कि हिमालय की ऊंची चोटियों पर पाई जाती है. इसके इस्तेमाल से शरीर पर चौंकाने वाले फायदे होते हैं. यूरिन इन्फेक्शन को ठीक से लेकर कई बीमारियों को ठिकाने लगाने का काम यह औषधि करती है. पेट रोगों में भी यह काफी फायदा देनी वाली है. इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए भी इसके सेवन की सलाह दी जाती है.
परिचय
यह भारत में पश्चिमी हिमालय में 1700 मी की ऊँचाई तक प्राप्त होता है, इसके अतिरिक्त काश्मीर, पंजाब, उत्तरी पश्चिमी भारत एवं नीलगिरी में इसकी खेती की जाती है। इसके फल के बीजों को बिहीदाना कहते हैं। बीजों को जल में भिगोने से फूल कर लुआबदार हो जाते हैं।
यह शाखा-प्रशाखायुक्त मध्यम आकार का छोटा वृक्ष होता है। इस वृक्ष के काण्ड की छाल गहरे भूरे वर्ण या काली रंग की तथा शाखाएं टेढ़ी-मेढ़ी होती हैं। इसके पत्र सरल, 5-10 सेमी लम्बे एवं 3.8-7.5 सेमी चौड़े, अण्डाकार, गहरे हरे, ऊपरी भाग पर चिकने, नीचे अधोभाग पर भूरे तथा रोमश होते हैं। इसके पुष्प पत्रकोण से निकले हुए लगभग 5 सेमी व्यास के, श्वेत अथवा गुलाबी रंग की आभा से युक्त होते हैं। इसके फल नाशपाती आकार के, लगभग गोलाकार, अनेक बीजयुक्त तथा पकने पर सुगन्धित व सुनहरे पीले रंग के होते हैं। बीज लम्बगोल, चपटे तथा रक्ताभ-भूरे रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल फरवरी से जुलाई तक होता है।
बिही दाना औषधि के फायदे
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉक्टर सरफराज अहमद ने लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताया कि बिही दाना एक बहुत ही चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि है, जो आसानी से मार्केट में उपलब्ध होती है. इसका इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है. इसके इस्तेमाल से तेजी से शरीर की इम्युनिटी बूस्ट होती है, जिससे शरीर को बीमारियों से लड़ने में काफी मदद साबित होती है. वहीं, यह ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने में भी काफी ज्यादा सहायक होती है.
इंफेक्शन को भी करे दूर
बेड कोलेस्ट्रॉल को भी कम करने का काम करती है. भाग दौड़ भरे लाइफस्टाइल में होने वाली अत्यधिक बीमारियों को यह तेजी से कंट्रोल करता है. वहीं, इसका इस्तेमाल यूरिन इन्फेक्शन, पेट इन्फेक्शन में किया जाता है. इसके इस्तेमाल से तेजी से शरीर पर फायदा होता है, यह शरीर को ताकत देने का काम करती है.
कैसे करें बिही दाना का सेवन
बिही दाना का इस्तेमाल चूर्ण के रूप में किया जाता है. इसका इस्तेमाल दूध और पानी के साथ कर सकते हैं. इसके लेप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और इसके बीच का तेल निकालकर भी उसका इस्तेमाल किया जाता है. इसे किसी भी रूप में इस्तेमाल करने से शरीर पर काफी फायदे होते हैं. वहीं, इसका इस्तेमाल सही मात्रा और चिकित्सक के परामर्श अनुसार करना चाहिए.
मात्रा : बीज 5 ग्राम, फल 5-10 ग्राम या चिकित्सक के परामर्शानुसार।
इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें.