बार-बार पेशाब का आना प्रोस्टेट कैंसर का संकेत, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी; जानें लक्षण और बचाव

Aditya Acharya
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उम्र बढ़ने के साथ पुरुषों में बार-बार यूरिन आने की समस्या आम हो सकती है। कई बार यह सामान्य शारीरिक बदलाव के कारण होता है, लेकिन यदि यह समस्या लगातार बनी रहे और यूरिन का फ्लो कमजोर हो जाए, तो इसे हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती लक्षण भी हो सकता है। इसलिए, 50 वर्ष की आयु के बाद प्रत्येक पुरुष को प्रोस्टेट से संबंधित नियमित जांच करानी चाहिए, ताकि किसी भी संभावित बीमारी का समय रहते पता लगाया जा सके और उचित उपचार शुरू किया जा सके।

क्यों होती है बार-बार यूरिन आने की समस्या?

प्रोस्टेट ग्रंथि पुरुषों के मूत्राशय (ब्लैडर) के ठीक नीचे स्थित होती है और यह यूरिन (मूत्र) और स्पर्म (शुक्राणु) के प्रवाह को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उम्र बढ़ने की प्रक्रिया में, यह ग्रंथि आकार में बड़ी होने लगती है, जिसे बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH) कहा जाता है। इसके कारण यूरिन पास करने में कठिनाई महसूस हो सकती है। हालांकि, कुछ मामलों में, इस ग्रंथि में कैंसर भी विकसित हो सकता है, जो एक गंभीर स्थिति है और समय पर इलाज न कराने पर जानलेवा भी हो सकती है।

प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण:

प्रोस्टेट कैंसर के कुछ सामान्य लक्षण हैं, जिन्हें पुरुषों को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए:

  • बार-बार पेशाब आना: खासकर रात के समय बार-बार यूरिन के लिए उठना।
  • यूरिन पास करने में कठिनाई: यूरिन शुरू करने या रोकने में परेशानी होना।
  • कमजोर यूरिन फ्लो: यूरिन की धार पतली या कमजोर होना या बीच में रुक-रुक कर आना।
  • पेशाब के दौरान जलन या दर्द होना: यूरिनेशन के समय असहजता या दर्द महसूस होना।
  • यूरिन या सीमेन में खून आना: मूत्र या वीर्य में रक्त की उपस्थिति प्रोस्टेट कैंसर का संकेत हो सकती है।
  • पेल्विक एरिया या लोअर बैक में लगातार दर्द: श्रोणि क्षेत्र या कमर के निचले हिस्से में लगातार दर्द बने रहना भी प्रोस्टेट कैंसर का कारण हो सकता है।

किन पुरुषों में है प्रोस्टेट कैंसर का अधिक खतरा?

विशेषज्ञों के अनुसार, कुछ पुरुष प्रोस्टेट कैंसर के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं:

  • 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुष: उम्र बढ़ने के साथ प्रोस्टेट कैंसर का खतरा बढ़ता जाता है।
  • परिवार का इतिहास: यदि परिवार में किसी करीबी सदस्य (पिता, भाई) को पहले प्रोस्टेट कैंसर हो चुका है, तो इस बीमारी के होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • गलत जीवनशैली: अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी और मोटापा भी प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

यदि दिखें ये लक्षण, तो तुरंत कराएं ये टेस्ट:

यदि आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण महसूस होते हैं, तो बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें और निम्नलिखित जांच कराएं:

  • PSA टेस्ट (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन): यह एक सामान्य ब्लड टेस्ट है, जिसके माध्यम से प्रोस्टेट ग्रंथि द्वारा उत्पादित एक विशेष प्रोटीन (PSA) के स्तर की जांच की जाती है। उच्च PSA स्तर प्रोस्टेट कैंसर या अन्य प्रोस्टेट समस्याओं का संकेत हो सकता है।
  • डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE): इस शारीरिक जांच में डॉक्टर दस्ताने पहनकर मलाशय (रेक्टम) के माध्यम से प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच करते हैं ताकि उसके आकार, बनावट या किसी असामान्यता का पता लगाया जा सके।
  • बायोप्सी: यदि PSA टेस्ट या DRE में कोई असामान्यता पाई जाती है, तो कैंसर की पुष्टि के लिए प्रोस्टेट टिशू का नमूना (बायोप्सी) लेकर उसकी जांच की जाती है।

प्रोस्टेट कैंसर से बचाव के लिए क्या करें?

यदि आपकी टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और उनके निर्देशों का सख्ती से पालन करें। यदि रिपोर्ट नेगेटिव है, तो भी प्रोस्टेट स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाना महत्वपूर्ण है:

  • स्वस्थ आहार लें: अपने भोजन में हरी सब्जियां, फल और फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों को अधिक शामिल करें। रेड मीट और उच्च वसा वाले खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
  • नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट तक मध्यम तीव्रता वाला व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • धूम्रपान और शराब से बचें: धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन प्रोस्टेट स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
  • 50 की उम्र के बाद नियमित प्रोस्टेट जांच कराएं: विशेषज्ञों की सलाह है कि 50 वर्ष की आयु के बाद हर पुरुष को साल में एक बार प्रोस्टेट की जांच (PSA टेस्ट और DRE) अवश्य करानी चाहिए।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआती चरण में पता चल जाए, तो इसका सफल इलाज संभव है। इसलिए, बार-बार यूरिन आने, पेशाब में दर्द या खून आने जैसी समस्याओं को कभी भी नजरअंदाज न करें। सही समय पर डॉक्टर से मिलकर जांच कराएं और एक स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं।

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