नई दिल्ली: हाल ही में कर्नाटक में 11 महीनों के भीतर 25,000 से अधिक नाबालिग लड़कियों के गर्भवती होने की चौंकाने वाली खबर ने समाज में एक नई बहस छेड़ दी है। वरिष्ठ लेखक बृज खंडेलवाल का मानना है कि यह घटना इस बात का सबूत है कि युवाओं के आपसी प्यार और जज्बातों को कानून की सख्ती से दबाना संभव नहीं है। उनका तर्क है कि अब समय आ गया है कि सहमति (consent) की उम्र को 18 से घटाकर 15 साल किया जाए, ताकि आपसी रिश्तों को अपराध न माना जाए।
POCSO एक्ट और युवा प्रेम
खंडेलवाल के अनुसार, मौजूदा कानून, खासकर POCSO (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट, 18 साल से कम उम्र के हर शारीरिक रिश्ते को अपराध मानता है, भले ही वह आपसी सहमति से हो। इस वजह से कई बार आपसी प्यार को भी ‘बलात्कार’ का इल्जाम झेलना पड़ता है, खासकर जब परिवारों की सहमति न हो।
- कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख: 2022 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने भी इस बात पर जोर दिया था कि 16 साल से अधिक उम्र के युवाओं के आपसी रिश्तों को देखते हुए कानून को नए सिरे से सोचने की जरूरत है।
- आंकड़ों की हकीकत: 2017 से 2021 के बीच 16 से 18 साल के युवाओं के खिलाफ POCSO के केस में 180% की वृद्धि हुई है। इनमें से 20-25% मामले आपसी सहमति के थे।
वैश्विक दृष्टिकोण और कानूनी सुधार की जरूरत
खंडेलवाल कहते हैं कि दुनिया के कई देशों ने युवाओं के प्यार को समझा है। जर्मनी, इटली और पुर्तगाल जैसे देशों में सहमति की उम्र 14 या 15 साल है। इन देशों में ‘क्लोज-इन-एज’ (close-in-age) का सिद्धांत लागू होता है, जो समान उम्र के युवाओं को आपसी संबंधों के लिए सजा से बचाता है।
- स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं: POCSO एक्ट का सेक्शन 19 डॉक्टरों को हर नाबालिग गर्भावस्था की सूचना पुलिस को देने के लिए बाध्य करता है। इस डर से युवा मेडिकल सलाह लेने से बचते हैं, जिससे गैर-कानूनी और खतरनाक तरीकों से गर्भपात कराने का जोखिम बढ़ जाता है। कर्नाटक के आंकड़े इस बात को साबित करते हैं।
- कानून आयोग की रिपोर्ट: 2023 की लॉ कमीशन रिपोर्ट ने भी युवाओं की स्वतंत्रता और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की जरूरत पर जोर दिया था।
‘समाज की सोच में बदलाव जरूरी’
खंडेलवाल का मानना है कि जब तक युवा प्रेम को सम्मान नहीं दिया जाएगा और सहमति की उम्र को 15 साल नहीं किया जाएगा, तब तक ‘बॉबी’ जैसी फिल्मों के प्रेमियों को गुनहगार माना जाता रहेगा। उनका तर्क है कि POCSO का मुख्य उद्देश्य बच्चों को यौन शोषण से बचाना है, न कि दो युवाओं के आपसी प्यार को अपराध मानना। इस तरह के कानूनी बदलाव से ना केवल युवा बिना डर के अपने रिश्ते को स्वीकार कर पाएंगे, बल्कि वे अपनी समस्याओं के लिए मेडिकल और कानूनी मदद भी आसानी से ले सकेंगे।