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मोबाइल ने बना दिया पंगु, अब न बच्चे रहे न उनका बचपन

Dharmender Singh Malik
3 Min Read

आज की दुनिया में मोबाइल फ़ोन ने हमारे जीवन को बदल दिया है। यह एक ऐसा उपकरण है जो हमें बहुत सारी सुविधाएँ प्रदान करता है, लेकिन इसके साथ ही यह हमारे बचपन को भी छीन रहा है। आजकल के बच्चे अपने मोबाइल फ़ोन के साथ इतने ज्यादा जुड़ गए हैं कि उनका बचपन खो चुका है।

मोबाइल फ़ोन के आने के बाद, बच्चों की दुनिया में काफी बदलाव हुए हैं। पहले बच्चे खेलने, पढ़ाई करने, और अपने मित्रों के साथ समय बिताने में लगे रहते थे। लेकिन आजकल के बच्चे अपने मोबाइल फ़ोन के साथ बस इंटरनेट पर समय बिताते हैं। वे खेलने की बजाय वीडियो गेम्स खेलते हैं, पढ़ाई की बजाय यूट्यूब वीडियो देखते हैं, और अपने मित्रों के साथ बातचीत की बजाय सोशल मीडिया पर समय बिताते हैं।

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मोबाइल फ़ोन के इस उपयोग के कारण, बच्चों का शारीरिक विकास भी प्रभावित हो रहा है। वे अपने फ़ोन के सामने बैठे रहते हैं, जिससे उनकी आंखों को नुकसान पहुंचता है। इसके अलावा, उनकी शारीरिक गतिविधियों में भी कमी आ गई है। वे बाहर नहीं खेलते हैं, नहीं दौड़ते हैं, और नहीं खुद को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करते हैं।

मोबाइल फ़ोन का उपयोग बच्चों के मानसिक विकास पर भी गहरा प्रभाव डालता है। ये फ़ोन उनके सोचने की क्षमता को कम करते हैं और उन्हें विचारशीलता की बजाय आवश्यकताओं के बारे में सोचने की आदत डालते हैं। इसके कारण, बच्चों का सोचने का तरीका बदल जाता है और वे समस्याओं का समाधान नहीं निकाल पाते हैं।

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मोबाइल फ़ोन के नकारात्मक प्रभावों को देखते हुए, हमें अपने बच्चों को इसके संपर्क से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए। हमें उन्हें खेलने, पढ़ाई करने, और अपने मित्रों के साथ समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। इसके अलावा, हमें उन्हें स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम करना सिखाना चाहिए। वे नियमित रूप से बाहर जाएं, खेलें, और अपनी आंखों का ध्यान रखें।

इसके अलावा, हमें अपने बच्चों को उचित मोबाइल फ़ोन का उपयोग करना सिखाना चाहिए। हमें उन्हें बताना चाहिए कि वे अपने फ़ोन का सही तरीके से उपयोग करें, समय की सीमा बनाएं, और अनुचित सामग्री से दूर रहें। इसके साथ ही, हमें उन्हें साइबर सुरक्षा के बारे में भी जागरूक करना चाहिए, ताकि वे इंटरनेट पर सुरक्षित रह सकें।

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संक्षेप में कहें तो, मोबाइल फ़ोन ने बच्चों के जीवन को बदल दिया है। यह उनका बचपन छीन रहा है और उन्हें नकारात्मक प्रभावों के सामने रख रहा है। हमें अपने बच्चों को इसके संपर्क से दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए और उन्हें स्वस्थ और सकारात्मक जीवन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
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