मुंबई: मुंबई में एक ऑटो ड्राइवर की असाधारण कमाई की कहानी इन दिनों सबको हैरान कर रही है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे सही जगह और लोगों की जरूरत को समझकर कोई भी बिना किसी बड़ी तकनीक या ऐप के भी लाखों कमा सकता है। यह मामला मुंबई के अमेरिकी वाणिज्य दूतावास (US Consulate) के बाहर का है, जहाँ एक ऑटो चालक ने एक अनोखा बिज़नेस मॉडल खड़ा कर दिया है।
एक समस्या, एक हजार का समाधान
लेंसकार्ट के प्रोडक्ट लीडर राहुल रुपानी जब अपने वीज़ा के काम से दूतावास पहुँचे, तो उन्हें अंदर बैग ले जाने की अनुमति नहीं मिली। वे परेशान होकर बाहर खड़े थे कि अपना बैग कहाँ रखें। तभी पास ही खड़े एक ऑटो ड्राइवर ने उन्हें आवाज दी: “साहब, बैग दे दो। सुरक्षित रखूंगा। 1,000 रुपये चार्ज है।”
राहुल पहले तो हिचकिचाए, लेकिन फिर उन्होंने अपना बैग उस ड्राइवर को दे दिया। जब वे अपना काम निपटाकर वापस आए, तो उनका बैग सुरक्षित वापस मिल गया। इसी अनुभव ने राहुल को एहसास दिलाया कि यह कोई साधारण मदद नहीं, बल्कि एक पूरा बिज़नेस था।
बिना ऐप-मार्केटिंग के लाखों की कमाई
राहुल रुपानी के विश्लेषण के अनुसार, इस ऑटो ड्राइवर का बिज़नेस मॉडल बेहद सीधा और प्रभावी है:
- सही जगह: ऑटो ड्राइवर रोज़ाना अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाहर अपनी ऑटो पार्क करता है।
- ज़रूरत को समझना: उसने उन लोगों की परेशानी को पहचाना जिन्हें दूतावास में बैग ले जाने की अनुमति नहीं मिलती।
- सीधी सेवा: हर ग्राहक से 1,000 रुपये में बैग सुरक्षित रखने की सेवा प्रदान करता है।
- बड़ी कमाई: रोज़ाना 20-30 ग्राहक होने से उसकी कमाई रोज़ाना 20-30 हजार रुपये तक पहुँच जाती है, जो महीने के 5-8 लाख रुपये होते हैं।
खास बात यह है कि यह सब बिना किसी मोबाइल ऐप, बिना किसी तकनीक या मार्केटिंग के हो रहा है। यह पूरी तरह से भारतीय ‘जुगाड़’ और उद्यमशीलता का अद्भुत उदाहरण है। राहुल ने इस अनुभव को “एक हाइपर-स्पेसिफिक प्रॉब्लम का मास्टरक्लास समाधान” बताया है।
यह कहानी हमें सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे आसपास भी ऐसे कई छोटे-छोटे आइडियाज़ हो सकते हैं, जो बड़ी कमाई का जरिया बन सकते हैं, बशर्ते हम उन्हें पहचान पाएं। क्या आपके पास भी ऐसा कोई ‘1,000 रुपये का आइडिया’ है?
ज्यादातर आदमी यह कहते मिल जाएंगे की कोई काम नहीं है परंतु ईमानदारी से किया गया कोई भी काम फायदा ही देता है