आगरा: अगर आप भविष्य में जमीन खरीदने की सोच रहे हैं, तो अब आपको बेहद सावधान रहना होगा और नए नियमों की जानकारी रखनी होगी। क्योंकि 2025 से जमीन से जुड़े नियम पूरी तरह बदलने वाले हैं। केंद्र सरकार ने 117 साल पुराने प्रॉपर्टी कानून को खत्म करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इसके साथ ही, जमीन खरीदने-बेचने की प्रक्रिया पहले से कहीं ज्यादा पारदर्शी और डिजिटल होने जा रही है।
इस बड़े बदलाव का मुख्य मकसद भ्रष्टाचार को कम करना, फर्जी जमीन डील्स पर रोक लगाना और आम लोगों को भरोसेमंद प्रॉपर्टी लेन-देन की सुविधा देना है। आइए, जानते हैं इस पूरे बदलाव की असली कहानी, एकदम सरल भाषा में।
पुराने नियम बनाम नए डिजिटल वेरिफिकेशन
अब तक जमीन से जुड़े लेन-देन में ढेर सारे कागजात, तहसील ऑफिस के अनगिनत चक्कर और काफी असमंजस की स्थिति बनी रहती थी। लोगों को अक्सर यह पता ही नहीं चल पाता था कि जिस जमीन को वे खरीद रहे हैं, उसका असली मालिक कौन है या कहीं वह विवादित तो नहीं है।
लेकिन अब यह सब कुछ डिजिटल तरीके से वेरीफाई होगा – और वो भी सिर्फ 4 आसान चरणों में। इससे हर खरीदार को सौ फीसदी यकीन होगा कि वह सही जमीन खरीद रहा है और उसके दस्तावेज पूरी तरह से वैध हैं।
ये होंगे 4 डिजिटल वेरिफिकेशन:
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स्वामित्व प्रमाणन (Ownership Certification): अब किसी भी जमीन के मालिक की जानकारी सीधे डिजिटल रिकॉर्ड से मिलेगी। मालिक का नाम, जमीन का क्षेत्रफल और कितने वर्षों से स्वामित्व है – सब कुछ एक क्लिक पर उपलब्ध होगा।
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राजस्व रिकॉर्ड जाँच (Revenue Record Check): जमीन का पिछला रिकॉर्ड, जैसे किसके नाम थी, कब और किसे ट्रांसफर हुई – यह सारी जानकारी अब ऑनलाइन आसानी से मिल जाएगी।
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लीगल क्लियरेंस (Legal Verification): यह सबसे अहम है। जमीन से जुड़े कोई कानूनी मामले, कोर्ट में मुकदमा या कब्जे की समस्या है या नहीं – इसका भी अब डिजिटल वेरिफिकेशन अनिवार्य होगा।
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भौगोलिक सत्यापन (Geo Verification): जमीन की सटीक लोकेशन, उसका नक्शा, एरिया और सीमाएं – सब कुछ ऑनलाइन मैप्स और GIS टेक्नोलॉजी के जरिए वेरीफाई की जाएगी, जिससे सीमा विवाद खत्म होंगे।
डिजिटल वेरिफिकेशन की पूरी प्रक्रिया और इसके फायदे
डिजिटल वेरिफिकेशन प्रोसेस:
- फर्जीवाड़े से छुटकारा: अब एक ही जमीन को कई लोगों को बेचना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
- कोर्ट केस से बचाव: विवादित जमीनों की खरीद से बचेंगे, जिससे भविष्य के मुकदमे कम होंगे।
- खरीदार को पूरा भरोसा: सारी जानकारी पारदर्शी होने से खरीदार का विश्वास बढ़ेगा।
- जमीन विवाद की घटनाएं कम: सटीक रिकॉर्ड और जियो-टैगिंग से सीमा विवाद खत्म होंगे।
- सरकारी प्रक्रिया तेज और आसान: कागजी कार्रवाई कम होने से प्रक्रिया में तेजी आएगी।
सरकार की मंशा और संभावित चुनौतियाँ
सरकार का मकसद है कि भारत में ‘डिजिटल इंडिया’ के विजन को जमीन की खरीद-फरोख्त में भी लागू किया जाए। इससे भ्रष्टाचार में भारी कमी आएगी, जमीन विवादों से कोर्ट पर बोझ घटेगा और रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ेगी।
हालांकि, इस नई व्यवस्था को लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी आ सकती हैं:
एक्सपर्ट्स की राय और कब तक लागू होगी व्यवस्था?
रियल एस्टेट और लीगल एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह बदलाव आने वाले 5-10 साल में प्रॉपर्टी मार्केट का पूरा चेहरा बदल देगा। इससे खरीदार को भरोसा मिलेगा, कोर्ट केस घटेंगे, संपत्ति की कीमतों में पारदर्शिता आएगी और लोग ज्यादा खुले मन से निवेश करेंगे।
सरकार की योजना है कि 2025 के अंत तक देशभर में डिजिटल वेरिफिकेशन की यह व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। शुरुआती चरणों में इसे कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा, फिर पूरे भारत में इसका विस्तार किया जाएगा।
अब वक्त आ गया है जब जमीन खरीदना सिर्फ ब्रोकर के भरोसे नहीं होगा, बल्कि डिजिटल प्रूफ के आधार पर होगा। इससे न सिर्फ आम जनता को फायदा होगा, बल्कि रियल एस्टेट सेक्टर में भी एक नई क्रांति आएगी। तो, अगर आप भविष्य में जमीन खरीदने की सोच रहे हैं, तो इन नए नियमों को जानना और अपनाना बहुत जरूरी है। अब समय आ गया है डिजिटल इंडिया को जमीन तक लाने का!