कभी एक्टिंग करने वाली सिमला ने कैसे हासिल की UPSC में सफलता?
8 अक्टूबर, 1980 को भोपाल, मध्य प्रदेश में जन्मी सिमला प्रसाद का बचपन एक ऐसे परिवार में बीता, जहां शिक्षा और सांस्कृतिक मूल्यों को बेहद महत्व दिया जाता था। उनकी माँ, महरूनिसा पारवेज़, एक प्रसिद्ध लेखिका हैं और उनके पिता, डॉ. भागीरथ प्रसाद, एक प्रतिष्ठित आईएएस अधिकारी रहे हैं। उनके पिता मध्य प्रदेश के भिंड से सांसद रहे हैं और विश्वविद्यालय के उपकुलपति के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
सिमला ने अपने जीवन में बहुत पहले से ही नृत्य और अभिनय के प्रति अपनी रुचि दिखाई थी। स्कूल और कॉलेज के दिनों में वह सांस्कृतिक कार्यक्रमों और थिएटर में सक्रिय रूप से भाग लेती थीं, जिससे उनके भीतर कला के प्रति एक गहरी निष्ठा विकसित हुई।
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शिक्षा में उत्कृष्टता की शुरुआत
सिमला ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसेफ्स को-एड स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने इंस्टीट्यूट फॉर एक्सीलेंस इन हायर एजुकेशन से बी.कॉम की डिग्री प्राप्त की और फिर Barkatullah University से पोस्ट-ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त की, जहाँ वह टॉप स्टूडेंट रहीं और गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
करियर की शुरुआत
सिमला ने अपने करियर की शुरुआत सार्वजनिक सेवा क्षेत्र से की और मध्य प्रदेश पुलिस में डिप्टी एसपी (DSP) के रूप में कार्य शुरू किया, जब उन्होंने एमपीपीएससी परीक्षा पास की। हालांकि वह पहले से ही एक सफल पुलिस अधिकारी थीं, उनका सपना था कि वह UPSC की सिविल सेवा परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल हों। इसके लिए उन्होंने कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ तैयारी शुरू की।
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पहले प्रयास में यूपीएससी पास
सिमला ने परिवार के प्रोत्साहन से बिना किसी कोचिंग के यूपीएससी की परीक्षा दी और पहले ही प्रयास में AIR 51 प्राप्त किया। यह सफलता उनके परिवार के मार्गदर्शन और उनकी मेहनत का परिणाम थी। सिमला का कहना है कि इस परीक्षा को पास करने की उनकी यात्रा पूरी तरह से अप्रत्याशित थी, लेकिन उन्होंने इसे एक लक्ष्य के रूप में अपनाया और सफलता प्राप्त की।
अभिनय में भी डेब्यू
सिमला का करियर केवल पुलिस सेवा तक सीमित नहीं था। उन्होंने बॉलीवुड में भी कदम रखा और 2017 में फिल्म अलीफ से अभिनय की शुरुआत की। इसके बाद, उन्होंने 2019 में फिल्म नक्काश में भी अभिनय किया, जहां उन्होंने अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन किया।
संघर्ष और दृढ़ता
सिमला की यात्रा बिना संघर्षों के नहीं रही। एक समय ऐसा आया जब उन्हें बैडमिंटन खेलते हुए घुटने में चोट लगी और इसके कारण उन्हें इस खेल को छोड़ना पड़ा। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्यों के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी। सिमला का यह सफर हमें यह सिखाता है कि कैसे किसी की रुचियों और पेशेवर जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
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सारांश
सिमला प्रसाद की कहानी यह दर्शाती है कि सफलता के लिए दृढ़ संकल्प और समर्पण की आवश्यकता होती है। एक ओर जहां वह एक सशक्त आईपीएस अधिकारी के रूप में समाज की सेवा कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने अभिनय में भी अपना हुनर साबित किया। उनका यह सफर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है कि यदि आप सच्चे दिल से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं, तो कोई भी बाधा आपके रास्ते में नहीं आ सकती।