गोपेश्वर: उत्तराखंड की फूलों की घाटी इस साल पर्यटकों से खचाखच भरी हुई है। यह विश्व धरोहर स्थल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता के लिए दुनियाभर में मशहूर है। यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं, जो इसे एक अद्वितीय प्राकृतिक आश्चर्य बनाते हैं।
रिकॉर्ड तोड़ पर्यटक:
इस साल अगस्त तक 17,277 देसी-विदेशी पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं। इससे नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क को 34,79,550 रुपये की आमदनी हुई है। यह पिछले कुछ वर्षों के मुकाबले काफी अधिक है। 2022 में 20,830 और 2023 में 13,068 पर्यटक आए थे।
जैव विविधता का खजाना:
87.5 वर्ग किलोमीटर में फैली यह घाटी न केवल फूलों बल्कि दुर्लभ वन्यजीवों का भी घर है। इसकी अद्वितीय जैव विविधता के कारण यूनेस्को ने 2005 में इसे विश्व धरोहर घोषित किया था।
क्यों है फूलों की घाटी खास?
- फूलों की विविधता: यहां 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं, जो हर मौसम में घाटी को एक नए रूप में प्रस्तुत करते हैं।
- दुर्लभ वन्यजीव: यहां कई दुर्लभ वन्यजीव पाए जाते हैं, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र हैं।
- शांति और शांत वातावरण: दूर-दूर तक फैले घने जंगल और खूबसूरत नज़ारे पर्यटकों को शांति और शांत वातावरण प्रदान करते हैं।
- साहसिक गतिविधियां: ट्रेकिंग, कैंपिंग और पक्षी देखना जैसे कई साहसिक गतिविधियां भी यहां उपलब्ध हैं।
कब जाएं:
फूलों की घाटी जुलाई से सितंबर के महीनों में सबसे खूबसूरत लगती है। इस दौरान यहां विभिन्न प्रकार के फूल खिलते हैं और घाटी रंग-बिरंगे फूलों से भर जाती है।
कैसे पहुंचें:
फूलों की घाटी पहुंचने के लिए गोविंदघाट बेस कैंप से ट्रेक किया जाता है। यह ट्रेक थोड़ा चुनौतीपूर्ण है लेकिन दृश्य अद्भुत होते हैं।
फूलों की घाटी एक संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र है। यहां पर्यटकों को पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। घाटी में कूड़ा-कचरा न फेंके।निर्धारित रास्तों से ही चलें। वन्यजीवों को परेशान न करें। घाटी में आग जलाना मना है।
फूलों की घाटी प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और शांति पर्यटकों को मोहित करती है। यदि आप प्रकृति प्रेमी हैं तो आपको फूलों की घाटी जरूर देखनी चाहिए।