नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वह कई उम्र-संबंधी बीमारियों से जूझ रहे थे और 26 दिसंबर की रात को उनके स्वास्थ्य में अचानक गिरावट आई। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि डॉ. सिंह की स्थिति गंभीर होने के बाद उन्हें रात 8:06 बजे अस्पताल लाया गया, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका और उन्हें रात 9:51 बजे मृत घोषित कर दिया गया।
डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद देशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री सहित देश के कई प्रमुख नेताओं और हस्तियों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। भारत सरकार ने शोक के इस समय में केंद्र सरकार के सभी निर्धारित कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं और सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है।
राजकीय सम्मान में होगा अंतिम संस्कार
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा की योजना शुक्रवार को तय की जाएगी, और उम्मीद है कि उनका अंतिम संस्कार शनिवार, 28 दिसंबर को होगा। इस बारे में औपचारिक घोषणा शुक्रवार को की जाएगी।
केंद्रीय कैबिनेट की बैठक सुबह 11 बजे होगी, जिसमें डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी और उनके अंतिम संस्कार से संबंधित निर्णय लिए जाएंगे। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है, जिसका पालन देशभर में किया जाएगा।
मनमोहन सिंह का योगदान
मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पंजाब के एक छोटे से गांव में हुआ था। वह 2004 से 2014 तक लगातार दो बार भारत के प्रधानमंत्री रहे। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत ने 1991 के आर्थिक सुधारों को लागू किया था, जो आज भी देश की आर्थिक नीति का आधार बने हुए हैं। उनकी भूमिका को न केवल भारत बल्कि दुनिया भर में सराहा गया। उनके नेतृत्व में भारत की अर्थव्यवस्था ने तेज़ी से विकास किया और उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा को भी मजबूत किया।
दुःख व्यक्त करते हुए नेताओं ने दी श्रद्धांजलि
मनमोहन सिंह के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शोक व्यक्त करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी उन विरले नेताओं में से एक थे जिन्होंने भारतीय राजनीति में शिक्षा और प्रशासन दोनों में ही उत्कृष्टता को प्रदर्शित किया। वह हमेशा अपने देश की सेवा के प्रति समर्पित रहे और उनकी विनम्रता और ईमानदारी को हमेशा याद किया जाएगा।”
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया और लिखा, “डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अविस्मरणीय रहेगा। उनका निधन भारतीय राजनीति और समाज के लिए एक बड़ी क्षति है।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा, “भारत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक को खो दिया है। साधारण परिवार से उठकर डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी और वित्त मंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान किया।”
कांग्रेस और अन्य दलों ने जताया शोक
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी डॉ. मनमोहन सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, “डॉ. मनमोहन सिंह जी की नीतियों ने भारत में आर्थिक समृद्धि और सामाजिक न्याय की दिशा में योगदान दिया। उनका निधन भारतीय राजनीति की बड़ी क्षति है।”
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर कांग्रेस पार्टी ने 7 दिनों के लिए सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं, जिसमें 28 दिसंबर को कांग्रेस का स्थापना दिवस भी शामिल था।
मनमोहन सिंह के निधन पर खेल जगत से भी शोक संदेश
भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ियों ने भी डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट मैच के दौरान भारतीय टीम ने अपनी बांह पर काली पट्टी बांधकर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।
पारिवारिक शोक और अंतिम संस्कार की तैयारी
गुरुवार रात डॉ. मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर दिल्ली के उनके आवास पर लाया गया, जहां कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियां उनके परिवार के साथ शोक व्यक्त करने पहुंचे।
सभी नेताओं ने जताई संवेदना
बीजेपी नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, और अन्य प्रमुख नेताओं ने भी डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर शोक जताया। उनके योगदान को याद करते हुए नेताओं ने कहा कि उनका जाना भारतीय राजनीति और समाज के लिए अपूरणीय क्षति है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति, अर्थशास्त्र और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति है। उनकी नीतियां और कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। भारत सरकार द्वारा सात दिनों का राष्ट्रीय शोक और केंद्र सरकार द्वारा सभी कार्यक्रमों के रद्द किए जाने का निर्णय उनके सम्मान में लिया गया है।