नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने का निर्णय लिया है और 48 घंटे में सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे। यह फैसला उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद लिया है, जहां वह दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामले में बंद थे। आइए जानते हैं कि उनके सामने इस्तीफे की नौबत क्यों आई।
अरविंद केजरीवाल ने साढ़े पांच महीने की जेल की सजा के बाद जब जेल से बाहर आए, तो उन्होंने पद छोड़ने का निर्णय किया। यह स्थिति कैसे उत्पन्न हुई? इसके पीछे आबकारी घोटाला एक प्रमुख कारण है, जिसने आम आदमी पार्टी (AAP) की छवि को नुकसान पहुंचाया। केजरीवाल और उनके सहयोगी मनीष सिसोदिया को इस घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में लंबी अवधि तक जेल में रहना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी उन पर प्रतिबंध लगे हुए हैं।
आबकारी घोटाला 2021 में शुरू हुआ जब दिल्ली सरकार ने एक नई आबकारी नीति लागू की थी, जिसका उद्देश्य राजस्व बढ़ाना था। इस नीति के तहत शराब की कीमतों में कमी आई और इसे निजी कंपनियों को बेचने की जिम्मेदारी दी गई। लेकिन यही नीति AAP के लिए परेशानी का कारण बनी।
एलजी को मिली शिकायतों के आधार पर मुख्य सचिव ने मामले की जांच की और रिपोर्ट में घोटाले का खुलासा किया। 22 जुलाई 2022 को एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। सीबीआई ने 27 सितंबर 2022 को केजरीवाल के करीबी सहयोगी विजय नायर को गिरफ्तार किया और इसके बाद कई शराब कारोबारियों को भी गिरफ्तार किया गया। 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया। इसके बाद 4 अक्टूबर 2023 को ईडी ने संजय सिंह को गिरफ्तार किया और 21 मार्च को केजरीवाल को भी गिरफ्तार किया।
हालांकि, आम आदमी पार्टी इस घोटाले को फर्जी बताते हुए जांच एजेंसियों पर आरोप लगाती रही है कि अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं।