उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए राज्य के 11 जिलों में बाहरी लोगों के लिए कृषि और उद्यान की जमीन खरीदने पर रोक लगा दी है। यह निर्णय राज्य की धामी सरकार द्वारा भू-कानून को मंजूरी देने के बाद लिया गया है, जो कि बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में सर्वसम्मति से पारित हुआ। इस फैसले से अब राज्य के बाहर के लोग अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तरकाशी और नैनीताल जैसे प्रमुख पहाड़ी जिलों में कृषि और उद्यान के लिए जमीन नहीं खरीद सकेंगे।
क्यों लाया गया भू-कानून?
उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों में तेजी से डेमोग्राफिक बदलाव हो रहे थे, जहां बाहरी राज्य के लोग बड़ी संख्या में जमीन खरीद रहे थे। इसका असर राज्य की स्थानीय आबादी पर पड़ रहा था, और इन बदलावों से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। खासतौर पर, किसानों और स्थानीय निवासियों ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया था। इसके परिणामस्वरूप, राज्य सरकार को भू-कानून बनाने की आवश्यकता महसूस हुई, जो अब लागू हो गया है।
नए भू-कानून की मुख्य बातें
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बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीद पर रोक – अब राज्य के 11 जिलों में बाहरी लोगों को कृषि और उद्यान के लिए भूमि खरीदने की अनुमति नहीं होगी। केवल हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिलों को इस कानून से बाहर रखा गया है।
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भूमि खरीद पर सीमा – पहले उत्तराखंड में बिना किसी मंजूरी के 250 वर्ग मीटर और मंजूरी के साथ 12 एकड़ तक की जमीन खरीदी जा सकती थी। अब बाहरी लोगों के लिए किसी भी प्रकार की भूमि खरीद पर रोक लगा दी गई है।
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मंजूरी प्रक्रिया – बाहरी लोगों को भूमि खरीदने के लिए पहले हलफनामा प्रस्तुत करना होगा और फिर इसे एक समर्पित पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा। अगर कोई उल्लंघन करता है, तो उसकी भूमि को जब्त कर लिया जाएगा।
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नगरपालिका क्षेत्र में भूमि उपयोग – राज्य के नगर पालिका क्षेत्रों में भूमि का उपयोग केवल निर्धारित भूमि-उपयोग नियमों के अनुसार किया जा सकेगा। इसके उल्लंघन की स्थिति में कार्रवाई की जाएगी।
2022 में लागू की गई थी सीमा
पिछले वर्ष, 2022 में धामी सरकार ने विधानसभा चुनावों के बाद भूमि खरीद पर कुछ सीमा रेखाएं फिर से लागू की थीं। पहले 2017 के कानून में 250 वर्ग मीटर की सीमा हटाई गई थी, लेकिन अब इसे फिर से लागू किया गया है। इसके साथ ही नए कानून में यह प्रावधान भी रखा गया है कि बाहरी लोग यदि भूमि खरीदते हैं, तो इसकी पूरी प्रक्रिया को एक समर्पित पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा और इसके बाद ही बिक्री की अनुमति दी जाएगी।
किसे मिली राहत?
वहीं, हरिद्वार और उधम सिंह नगर जिले को इस कानून से बाहर रखा गया है। इन जिलों में बाहरी लोग अब भी कृषि और उद्यान के लिए भूमि खरीद सकेंगे। इसके अलावा, यदि कोई बाहरी व्यक्ति किसी विशेष प्रयोजन के लिए जमीन लेना चाहता है, तो उसे जिलाधिकारी से मंजूरी प्राप्त करनी होगी, और यह मामला राज्य सरकार तक जाएगा।
जनता की भावनाओं का सम्मान
धामी सरकार ने भू-कानून को लागू करते हुए राज्य के संसाधनों और स्थानीय संस्कृति को बचाने की कोशिश की है। सरकार का मानना है कि इस कदम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी, और पहाड़ी इलाकों में बाहरी दबाव को कम किया जा सकेगा।
नए भू-कानून का प्रभाव
इस भू-कानून के लागू होने से पहाड़ी क्षेत्रों में बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदने की प्रक्रिया पर रोक लगेगी, जिससे स्थानीय लोगों को अधिक अवसर मिलेंगे। इसके साथ ही, राज्य के संसाधनों की रक्षा भी होगी, और यह कदम पहाड़ी इलाकों में आर्थिक और सामाजिक संतुलन बनाए रखने में मदद करेगा।