Advertisement

Advertisements

शंभू बॉर्डर पर सल्फास खाने वाले किसान की मौत, आंदोलनकारी किसानों में शोक की लहर

Dharmender Singh Malik
3 Min Read
शंभू बॉर्डर पर सल्फास खाने वाले किसान की मौत, आंदोलनकारी किसानों में शोक की लहर

चंडीगढ़: हरियाणा और पंजाब के शंभू बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। आंदोलन के दौरान 55 वर्षीय किसान रेशम सिंह ने केंद्र सरकार की नीतियों से नाराज होकर सवेरे सल्फास खा लिया था। उसे गंभीर हालत में पटियाला के राजेंद्र अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

रेशम सिंह की मौत से किसान आंदोलन में गहरा शोक फैल गया है। वह शंभू बॉर्डर और खनोरी बॉर्डर पर पिछले 11 महीने से आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन में किसानों की 13 प्रमुख मांगों में फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कृषि कानूनों की वापसी और अन्य समस्याओं का समाधान शामिल है। इन मांगों को लेकर किसानों ने केंद्र सरकार से कई बार बातचीत की अपील की थी, लेकिन सरकार की तरफ से किसी प्रकार की कार्रवाई या सहमति नहीं मिलने से किसान आक्रोशित थे।

See also  सीमा हैदर के घर में घुसपैठ की कोशिश साजिश, स्क्रिप्ट पाकिस्तान में भी लिखी जा सकती है: वकील एपी सिंह

सल्फास खाने का कारण

जानकारी के अनुसार, रेशम सिंह आंदोलन में अपनी हिस्सेदारी निभा रहे थे और सरकार द्वारा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम न उठाए जाने से वह काफी निराश थे। किसान ने यह कदम जान देने के इरादे से उठाया था। इसके बाद उसे तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के बावजूद उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।

किसान आंदोलन की स्थिति

पिछले 11 महीनों से शंभू बॉर्डर पर चल रहे इस किसान आंदोलन में हजारों किसान शामिल हैं। यह आंदोलन सरकार से कृषि कानूनों की वापसी और किसानों के हित में कदम उठाने की मांग कर रहा है। किसानों का कहना है कि सरकार उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रही है और उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है।

See also  Amazon और Flipkart की महासेल शुरू, AC से मोबाइल तक पर बंपर छूट!

किसान की मौत के बाद शंभू बॉर्डर पर शोक की लहर दौड़ गई है। किसान नेता और आंदोलनकारी अब सरकार से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं और इसके खिलाफ अपनी नाराजगी जताने के लिए और भी कड़े कदम उठाने की योजना बना रहे हैं।

सरकार पर बढ़ा दबाव

रेशम सिंह की दुखद मृत्यु ने आंदोलनकारी किसानों को और भी मजबूत बना दिया है। अब किसानों का आरोप है कि सरकार उनकी बातों को नजरअंदाज कर रही है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी दुखद घटनाएं हो रही हैं। सरकार को अब किसानों की मांगों को गंभीरता से लेना होगा, नहीं तो आंदोलन और भी उग्र हो सकता है।

See also  5 साल में 654 सीआरपीएफ जवानों ने की आत्महत्या, 50 हजार कर्मियों ने नौकरी छोड़ी

किसानों का संदेश

किसानों का कहना है कि उनका संघर्ष जारी रहेगा, और वे अपनी मांगों के लिए किसी भी कीमत पर लड़ते रहेंगे। रेशम सिंह की मृत्यु ने आंदोलन में एक नया मोड़ ला दिया है और यह स्पष्ट कर दिया है कि किसान अब तक अपनी लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे।

 

 

 

Advertisements

See also  संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होगा: जानिए क्या होगा खास
TAGGED:
Share This Article
Editor in Chief of Agra Bharat Hindi Dainik Newspaper
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement