लखनऊ: अगर आप कोई प्रॉपर्टी खरीदते हैं और सिर्फ रजिस्ट्री कराकर निश्चिंत हो जाते हैं तो यह खबर आपके लिए है। अक्सर लोग यह मानते हैं कि रजिस्ट्री के बाद वे संपत्ति के मालिक बन गए हैं, लेकिन कानूनी रूप से यह सही नहीं है। अगर आप रजिस्ट्री के बाद एक बेहद जरूरी काम नहीं करते हैं, तो आप अपनी संपत्ति का मालिकाना हक खो सकते हैं।
रजिस्ट्री के बाद क्या है जरूरी?
भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत 100 रुपये से अधिक की संपत्ति का हस्तांतरण लिखित में होना चाहिए और इसका रजिस्ट्रेशन सब रजिस्ट्रार कार्यालय में होता है। इसे ही हम आम भाषा में रजिस्ट्री कहते हैं। हालांकि, सिर्फ रजिस्ट्री ही आपको संपत्ति का पूर्ण मालिक नहीं बनाती। रजिस्ट्री के बाद म्यूटेशन यानी दाखिल-खारिज करवाना बहुत जरूरी होता है।
म्यूटेशन का मतलब है कि प्रॉपर्टी के सरकारी रिकॉर्ड यानी खतौनी में पुराने मालिक का नाम हटाकर नए मालिक का नाम दर्ज कराना। अगर यह काम नहीं किया जाता है, तो संपत्ति पुराने मालिक के नाम पर ही दर्ज रहती है।
क्यों जरूरी है दाखिल-खारिज (म्यूटेशन)?
- फर्जीवाड़े से बचाव: दाखिल-खारिज न होने पर पुराने मालिक के नाम पर संपत्ति के रिकॉर्ड चलते रहते हैं। इसका फायदा उठाकर धोखाधड़ी करने वाले लोग उसी जमीन को किसी दूसरे व्यक्ति को बेच सकते हैं या उस पर लोन ले सकते हैं।
- कानूनी विवादों से मुक्ति: दाखिल-खारिज न होने के कारण संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर अक्सर विवाद होते हैं, जिसमें आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाने पड़ सकते हैं।
फर्जीवाड़े से कैसे बचें?
जब भी आप कोई प्रॉपर्टी खरीदें, तो इन बातों का ध्यान रखें:
- खतौनी की जांच: प्लॉट खरीदने से पहले उसकी गाटा संख्या के आधार पर खतौनी की जांच जरूर करें। अब यह सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध है। इससे आप यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि जमीन का मालिक कौन है और उस पर कोई विवाद तो नहीं है।
- रजिस्ट्री ऑफिस में पुष्टि: रजिस्ट्री कराने से पहले यह जरूर पता करें कि कहीं यह जमीन पहले किसी और को तो नहीं बेची गई है।
- तुरंत दाखिल-खारिज: रजिस्ट्री के बाद दो से तीन महीने के भीतर दाखिल-खारिज जरूर करवा लें। इससे खतौनी में आपका नाम दर्ज हो जाएगा और फर्जीवाड़े की संभावना खत्म हो जाएगी।