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लॉयर और अधिवक्ता में क्या फर्क है? कानूनी पेशे की इन बारीकियों को जानें!

MD Khan
4 Min Read
लॉयर और अधिवक्ता में क्या फर्क है? कानूनी पेशे की इन बारीकियों को जानें!

कानून की दुनिया में अक्सर ‘लॉयर’ (Lawyer) और ‘अधिवक्ता’ (Advocate) जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं। आम आदमी के लिए ये दोनों शब्द भले ही एक जैसे लगें, लेकिन कानूनी पेशे में इनकी अपनी अलग पहचान और भूमिका होती है। आइए, जानते हैं लॉयर और अधिवक्ता के बीच क्या बुनियादी अंतर है और ये दोनों कैसे एक दूसरे से भिन्न हैं।

लॉयर (Lawyer) कौन होता है?

‘लॉयर’ एक व्यापक शब्द है जिसका इस्तेमाल उन सभी व्यक्तियों के लिए किया जा सकता है जिन्होंने कानून की पढ़ाई की है और जिनके पास कानूनी डिग्री है, जैसे कि एलएलबी (LLB) या एलएलएम (LLM)। सीधे शब्दों में कहें तो, जिसने भी कानून की शिक्षा प्राप्त की है, वह लॉयर कहलाता है।

लॉयर की भूमिका

  • कानूनी सलाह देना: लॉयर लोगों को कानूनी मुद्दों पर सलाह दे सकते हैं।
  • कानूनी दस्तावेज तैयार करना: वे समझौते, कॉन्ट्रैक्ट, वसीयत जैसे कानूनी दस्तावेज बनाने में मदद कर सकते हैं।
  • अनुसंधान (Research) करना: कानूनी मामलों में शोध करना और जानकारी जुटाना भी उनके कार्यक्षेत्र में आता है।
  • कोर्ट में प्रतिनिधित्व नहीं: महत्वपूर्ण बात यह है कि एक लॉयर, जिसके पास बार काउंसिल का लाइसेंस नहीं है, वह किसी भी अदालत में किसी मुवक्किल (client) का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता या बहस नहीं कर सकता। वह केवल कानून का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति होता है।
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अधिवक्ता (Advocate) कौन होता है?

‘अधिवक्ता’ शब्द एक विशिष्ट पद को दर्शाता है। एक अधिवक्ता वह लॉयर होता है जिसके पास भारत के बार काउंसिल (Bar Council of India) में नामांकन (enrollment) होता है। बार काउंसिल में नामांकित होने के बाद ही कोई लॉयर अदालत में कानूनी कार्यवाही में हिस्सा लेने, मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करने और बहस करने के लिए अधिकृत होता है। अधिवक्ता को ‘वकील’ के नाम से भी जाना जाता है।

अधिवक्ता की भूमिका

  • अदालत में प्रतिनिधित्व: अधिवक्ता अदालत में अपने मुवक्किलों की ओर से पेश होते हैं और उनके मामलों की पैरवी करते हैं।
  • बहस करना: वे अदालत में सबूत पेश करते हैं, गवाहों से जिरह करते हैं और कानूनी बिंदुओं पर बहस करते हैं।
  • कानूनी प्रक्रिया का पालन: वे कानूनी प्रक्रियाओं और नियमों का पालन करते हुए अपने मुवक्किलों को न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं।
  • बार काउंसिल का लाइसेंस: अधिवक्ता बनने के लिए लॉ की डिग्री के बाद ऑल इंडिया बार एग्जामिनेशन (AIBE) पास करना और बार काउंसिल से ‘सनद’ (Certificate of Practice) प्राप्त करना अनिवार्य होता है।
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मुख्य अंतर को ऐसे समझें

विशेषता लॉयर (Lawyer) अधिवक्ता (Advocate)
डिग्री कानून की डिग्री (LLB, LLM) प्राप्त व्यक्ति कानून की डिग्री (LLB, LLM) प्राप्त व्यक्ति
लाइसेंस बार काउंसिल का लाइसेंस नहीं होता (जब तक कि वह अधिवक्ता न बन जाए) बार काउंसिल ऑफ इंडिया का नामांकित लाइसेंस होता है
अदालती कार्य अदालत में पैरवी नहीं कर सकता, बहस नहीं कर सकता अदालत में पैरवी कर सकता है, बहस कर सकता है
पहचान कानून का ज्ञान रखने वाला व्यक्ति कानूनी पेशेवर जो अदालत में अभ्यास करने के लिए अधिकृत है
उद्देश्य कानूनी ज्ञान का उपयोग सलाह या दस्तावेज बनाने में मुवक्किल का प्रतिनिधित्व करना और न्याय दिलाना
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संक्षेप में, हर अधिवक्ता एक लॉयर होता है (क्योंकि उसके पास कानून की डिग्री होती है), लेकिन हर लॉयर एक अधिवक्ता नहीं होता। अधिवक्ता वह लॉयर होता है जिसे बार काउंसिल द्वारा अदालत में अभ्यास करने की अनुमति मिली होती है। यह अंतर कानूनी पेशे की संरचना और भूमिकाओं को स्पष्ट करता है।

 

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