किराएदारों के लिए खुशखबरी, मकान मालिकों के लिए चेतावनी! सुप्रीम कोर्ट ने बदला जमीन का नियम

Gaurangini Chaudhary
Gaurangini Chaudhary - Content writer
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किराएदारों के लिए खुशखबरी, मकान मालिकों के लिए चेतावनी! सुप्रीम कोर्ट ने बदला जमीन का नियम

नई दिल्ली: अगर आप भी अपनी प्रॉपर्टी (मकान, दुकान, या जमीन) किराए पर दे रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 2014 के अपने एक फैसले को पलटते हुए एक नया और ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति लगातार 12 साल तक किसी प्रॉपर्टी पर बिना किसी रोक-टोक के कब्जा बनाए रखता है, तो वही उस प्रॉपर्टी का मालिक बन सकता है।

क्या है ‘प्रतिकूल कब्जा’ का कानून?

यह फैसला ‘प्रतिकूल कब्जा’ (Adverse Possession) नामक कानून पर आधारित है, जो ब्रिटिश काल से चला आ रहा है। इस कानून के तहत, यदि कोई व्यक्ति 12 साल से अधिक समय तक किसी की संपत्ति पर कब्जा करके रखता है और असली मालिक इस दौरान उस पर कोई दावा नहीं करता है, तो कब्जा करने वाले व्यक्ति को ही उस संपत्ति का कानूनी मालिक मान लिया जाता है।

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस एम आर शाह की बेंच ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि यह कानून निजी संपत्तियों पर लागू होता है, सरकारी संपत्तियों पर नहीं।

2014 के फैसले को क्यों पलटा गया?

दरअसल, साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि प्रतिकूल कब्जे वाला व्यक्ति जमीन पर मालिकाना हक का दावा नहीं कर सकता। उस फैसले के अनुसार, अगर जमीन का असली मालिक अपनी संपत्ति वापस लेना चाहता है, तो कब्जाधारी को वह जमीन वापस करनी होगी।

लेकिन अब 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को पलटते हुए कहा है कि यदि कोई मालिक अपनी संपत्ति पर 12 साल तक कोई दावा नहीं करता है और किराएदार या कब्जा करने वाला व्यक्ति लगातार वहां रह रहा है, तो वह उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि भारतीय कानून किसी व्यक्ति को 12 साल तक अपनी संपत्ति पर हक जताने का अधिकार देता है, और इस अवधि के भीतर ही उसे मुकदमा दायर करना चाहिए।

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मकान मालिक इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप नहीं चाहते कि आपकी संपत्ति आपके हाथ से निकल जाए, तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए:

  • 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट: अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देते समय हमेशा 11 महीने का रेंट एग्रीमेंट बनवाएं। 11 महीने बाद इसे फिर से रिन्यू कराएं। ऐसा करने से कब्जे की अवधि में ‘ब्रेक’ आ जाएगा और किराएदार लगातार 12 साल के कब्जे का दावा नहीं कर पाएगा।
  • समय-समय पर संपर्क: किराएदार के साथ संपर्क में रहें और समय-समय पर अपनी प्रॉपर्टी का जायजा लेते रहें।
  • प्रॉपर्टी के कागजात: पानी और बिजली जैसे बिलों को अपने नाम पर ही रखें या उनका रिकॉर्ड अपने पास सुरक्षित रखें।
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यह फैसला उन मकान मालिकों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देकर बेफिक्र हो जाते हैं। अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए जागरूक रहना और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करना बहुत जरूरी है।

क्या आप इस फैसले से सहमत हैं? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें।

 

 

 

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