नई दिल्ली : एक ताजा अध्ययन में पाया गया है कि भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन द्वेष की बढ़ती प्रवृत्ति है। अध्ययन के अनुसार, 2018 और 2021 के बीच भारत से पोस्ट किए गए ट्वीट्स में से लगभग दो प्रतिशत में किसी न किसी रूप में स्त्री-द्वेषी सामग्री शामिल थी। यह संख्या हर दिन लाखों की है, यह देखते हुए कि औसतन रोजाना लगभग 20 अरब पोस्ट किए जाते हैं।
अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि यह प्रवृत्ति महामारी के बाद और भी खराब हुई है। 2020 और 2021 में, स्त्री-द्वेषी ट्वीट्स की संख्या में लगभग 20% की वृद्धि देखी गई।
अध्ययन में महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन द्वेष को छह श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
- यौन दुर्व्यवहार
- यौन वस्तुकरण
- शारीरिक या यौन हिंसा की धमकी
- महिलाओं की हीनता पर जोर देना
- महिलाओं के खिलाफ हिंसा को उचित ठहराना
- नारीवादी प्रयासों को खारिज करना
शोधकर्ताओं ने कहा कि इन ट्वीट्स का उद्देश्य महिलाओं को डराना, उन्हें चुप कराना और उनकी छवि को नुकसान पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि यह प्रवृत्ति लिंग आधारित हिंसा के ऑफ़लाइन रूपों को बढ़ावा दे सकती है।
शोधकर्ताओं ने डिजिटल स्थानों को लैंगिक रूप से न्यायसंगत और महिलाओं के लिए स्वागत योग्य बनाने के लिए भविष्य में अनुसंधान और हस्तक्षेप के विकास की तत्काल आवश्यकता का आह्वान किया।
इस अध्ययन के निष्कर्ष भारत में महिलाओं के लिए एक गंभीर चिंता का विषय हैं। ऑनलाइन द्वेष महिलाओं के मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है, और यह उन्हें ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों जगहों पर हिंसा के लिए जोखिम में डाल सकता है।
अध्ययन के निष्कर्ष सरकार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और नागरिक समाज के लिए कार्रवाई करने के लिए एक कॉल हैं। सरकारों को ऑनलाइन द्वेष के खिलाफ कानून और नीतियां बनाने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपने प्लेटफॉर्म पर द्वेषपूर्ण सामग्री को हटाने और रोकने के लिए बेहतर काम करने की आवश्यकता है। और नागरिक समाज को महिलाओं के लिए ऑनलाइन सुरक्षित स्थान बनाने के लिए काम करने की आवश्यकता है।