नई दिल्ली: अगर आप भी अपने घर या ज़मीन को अपनी पत्नी के नाम रजिस्ट्री कराने की सोच रहे हैं, तो पहले यह खबर ज़रूर पढ़ लें. हाल ही में हाई कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने लाखों लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. कोर्ट ने साफ़ कर दिया है कि अगर किसी प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री सिर्फ पत्नी के नाम पर है, तो उस पर पति का कोई कानूनी हक नहीं रहेगा, चाहे उसने घर खरीदने के लिए पूरा पैसा ही क्यों न दिया हो.
क्या कहा है कोर्ट ने?
कोर्ट के अनुसार, यदि पति ने अपने पैसे से पत्नी के नाम पर घर लिया है लेकिन रजिस्ट्री में खुद को मालिक नहीं दिखाया, तो वह उस घर पर दावा नहीं कर सकता. जब तक पति यह साबित नहीं करता कि वह भी उस प्रॉपर्टी में कानूनी रूप से साझेदार है या कोई सह-मालिकाना दस्तावेज उसके पास है, तब तक वह उस घर पर अधिकार नहीं जता सकता.
अब ज़रा सोचिए, देश में कितने ही लोग टैक्स बचाने के लिए या सामाजिक वजहों से पत्नी के नाम घर खरीदते हैं. अब अगर आगे चलकर पति-पत्नी के बीच कोई विवाद हो जाए या तलाक जैसी स्थिति आ जाए, तो उस घर को लेकर बड़ा पेंच फंस सकता है.
‘बेनामी संपत्ति कानून’ भी होगा लागू
इस फैसले से एक और चीज़ साफ़ हो गई है – अगर कोई व्यक्ति किसी और के नाम से संपत्ति खरीदता है, जबकि असली मालिक खुद है, तो वह मामला ‘बेनामी संपत्ति’ की कैटेगरी में आ जाता है. बेनामी लेन-देन (निषेध) अधिनियम 1988 के तहत ऐसी संपत्तियां ज़ब्त की जा सकती हैं और इसमें कड़ी सज़ा का भी प्रावधान है.
इसलिए अब सिर्फ़ पैसा देने से कोई संपत्ति आपकी नहीं मानी जाएगी, जब तक दस्तावेजों में आप खुद को मालिक नहीं दिखाते.
तो अब क्या करें?
अगर आप भविष्य में किसी परेशानी से बचना चाहते हैं और फिर भी पत्नी के नाम पर ही घर खरीदना चाहते हैं, तो कुछ ज़रूरी कदम उठाएँ:
- रजिस्ट्री में दोनों का नाम डालें: अगर आप दोनों उस संपत्ति में बराबर के हकदार हैं, तो रजिस्ट्री में दोनों के नाम होना बहुत ज़रूरी है.
- पेमेंट से जुड़े डॉक्यूमेंट रखें: अगर आपने पेमेंट किया है, तो उसकी रसीद, बैंक ट्रांज़ैक्शन या लोन के दस्तावेज़ संभाल कर रखें.
- MoU (समझौता पत्र) तैयार करें: एक साधारण समझौता पत्र (Memorandum of Understanding) बनवाएँ जिसमें यह साफ़ लिखा हो कि किसका कितना हिस्सा है और कौन भुगतान कर रहा है.
टैक्स बचाने के चक्कर में न फंसें
बहुत से लोग सिर्फ़ टैक्स बचाने के लिए पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं, लेकिन यह चाल अब उलटी भी पड़ सकती है. क्योंकि अगर दस्तावेज़ मज़बूत नहीं हैं और रजिस्ट्री में सिर्फ़ पत्नी का नाम है, तो बाद में आपका कोई हक नहीं रह जाएगा. इसलिए कोई भी फैसला लेने से पहले टैक्स एक्सपर्ट या वकील से सलाह ज़रूर लें.
महिलाओं के लिए राहत की खबर
इस फैसले से महिलाओं को मज़बूती मिली है. अब अगर किसी महिला के नाम पर प्रॉपर्टी है, तो उसे लेकर कोई दूसरा दावा नहीं कर सकता जब तक कि वैध दस्तावेज़ न हो. इससे महिला की कानूनी सुरक्षा और संपत्ति पर हक सुनिश्चित होता है, खासकर तब जब रिश्तों में दरार आ जाए.
अब वक़्त आ गया है कि प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों को हल्के में न लिया जाए. कोर्ट का यह फैसला बताता है कि रजिस्ट्री में जिसका नाम है, उसी का घर माना जाएगा. चाहे आपने पेमेंट किया हो या नहीं, बिना सबूत या सहमति के आपके हक को मान्यता नहीं मिलेगी.
इसलिए समझदारी इसी में है कि जब भी आप घर खरीदें, तो सभी कागज़ात सही और पारदर्शी तरीके से तैयार करवाएँ, ताकि आगे चलकर कोई कानूनी मुसीबत न आए और रिश्तों में भी कोई खटास न पड़े.