FASTag नहीं तो कैश दो… नितिन गडकरी ने बताया ऐसे होता है टोल प्लाजा पर स्कैम

BRAJESH KUMAR GAUTAM
4 Min Read

“चोर चोरी से जाए, हेरा फेरी से न जाए…” यह पुरानी कहावत अब एक और बड़े घोटाले से जुड़ी दिख रही है, जहां सरकार को चूना लगाया जा रहा था, और वो भी टोल प्लाजा पर। हाल ही में लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के सामने एक सवाल रखा गया, जिसमें पूछा गया था कि क्या सरकार को एनएचएआई के तहत राजमार्गों पर टोल बूथों पर फर्जी सॉफ्टवेयर के जरिए किए गए घोटाले की जानकारी है। इस सवाल का जवाब सरकार ने संसद में दिया, और इसके बाद सामने आया एक बड़ा टोल घोटाला, जो उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में घटित हुआ था।

टोल घोटाले का खुलासा: मिर्जापुर का मामला

यह घोटाला उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) द्वारा दर्ज की गई एफआईआर से जुड़ा हुआ है। सरकार ने बताया कि एसटीएफ ने अत्रैला शिव गुलाम यूजर फीस प्लाजा में लगे टीएमएस (टोल मैनेजमेंट सिस्टम) सॉफ़्टवेयर से जुड़ी धोखाधड़ी का खुलासा किया। आरोप यह था कि टोल ऑपरेटर ने गैर-फास्टैग और ब्लैक लिस्टेड फास्टैग वाहनों से पैसे लेने के लिए हैंडहेल्ड मशीनों का इस्तेमाल किया था। हालांकि, इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) सिस्टम में कोई उल्लंघन नहीं हुआ था।

See also  वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम रोक से इनकार, संपत्ति में बदलाव नहीं होगा

टोल ऑपरेटरों की शातिर चाल

सरकार ने बताया कि 98% टोल कलेक्शन इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (ईटीसी) सिस्टम के माध्यम से किया जाता है। जब अवैध फास्टैग वाले वाहन टोल प्लाजा में प्रवेश करते हैं, तो बूम बैरियर नहीं खुलता, और इसके परिणामस्वरूप नकद भुगतान लिया जाता है। ऐसे में वाहन चालक को शुल्क का दोगुना भुगतान करना पड़ता है। टोल ऑपरेटर इन लेन-देन को छूट या उल्लंघन श्रेणी में डालकर, अवैध पॉइंट-ऑफ-सेल (PoS) मशीनों का उपयोग कर भुगतान रसीद बना लेते थे।

इसके अलावा, ओवरलोड वाहनों से अतिरिक्त नकद भुगतान वसूलने की संभावना भी बताई गई, जो कि ईटीसी/टीएमएस सिस्टम में रिकॉर्ड नहीं होता था। इस घटना के बाद, नकद लेन-देन के प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि टोल ऑपरेटर उन वाहनों से नकद वसूल रहे थे जिनके पास फास्टैग नहीं था या जिनका फास्टैग अमान्य था।

See also  तीन विधेयकों के कानून बनने से भारतीय कानून व्यवस्था में बड़े बदलाव

सरकार की कड़ी कार्रवाई और जांच

घोटाले की सूचना मिलने के बाद, एनएचएआई (राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) ने त्वरित कार्रवाई करते हुए संबंधित यूजर फीस एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट समाप्त कर दिया और उस पर एक साल का बैन भी लगा दिया। इसके अलावा, एसटीएफ की ओर से आपराधिक कार्रवाई की जा रही है। एफआईआर के आधार पर 13 यूजर फीस संग्रह करने वाली एजेंसियों को भी दो साल के लिए बैन कर दिया गया है।

सरकार अब टोल प्लाजा पर ऑडिट कैमरों के लगाने पर विचार कर रही है, ताकि एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) की मदद से टोल के आंकड़े सटीक रूप से एकत्र किए जा सकें और किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके।

See also  वक्फ संशोधन अधिनियम: निशिकांत दुबे का सुप्रीम कोर्ट पर हमला, CJI संजीव खन्ना को ठहराया 'गृहयुद्धों' का जिम्मेदार

भविष्य के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे?

इस घटनाक्रम के बाद, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि वह देश भर के सभी टोल बूथों की जांच कराने का विचार कर रही है, ताकि ऐसे घोटालों का पुनरावृत्ति न हो। टोल ऑपरेटरों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए नए उपायों पर काम किया जा रहा है, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि सड़कों पर चलने वाले वाहनों से सटीक शुल्क लिया जाए।

इसके अलावा, टोल प्लाजा के संचालन में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सरकार ने कहा है कि अब टोल बूथों पर ऑडिट कैमरे लगाए जाएंगे, जिससे सभी लेन-देन को ट्रैक किया जा सके और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी को रोका जा सके।

 

See also  वक्फ एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम रोक से इनकार, संपत्ति में बदलाव नहीं होगा
Share This Article
Leave a Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement