छत्तीसगढ़: साइबर ठगी या सायबर फ्रॉड आजकल देशभर में एक गंभीर समस्या बन चुकी है। इसके मद्देनजर, IIT भिलाई ने एक नई डिवाइस का आविष्कार किया है, जो ऑनलाइन ट्रांजेक्शन को ज्यादा सुरक्षित बनाने में मदद करेगी। यह डिवाइस यूपीआई, ई-कॉमर्स और नेट बैंकिंग जैसी डिजिटल लेन-देन को सुरक्षित बनाएगी और साइबर अपराधों को नियंत्रित करने में सहायक साबित हो सकती है। इस डिवाइस का नाम “ट्रस्ट टोकन” रखा गया है और यह पेन ड्राइव की तरह दिखती है।
डिवाइस का पहला चरण पूरा, दूसरे चरण में तेजी से काम हो रहा है
IIT भिलाई के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर और ट्रस्ट टोकन प्रोजेक्ट के प्रिंसिपल इन्वेस्टिगेटर, डॉ. धीमन साहा ने बताया कि इस डिवाइस के पहले चरण का काम पूरा हो चुका है और दूसरे चरण में काम अंतिम दौर में है। डॉ. साहा ने बताया कि यह डिवाइस एक डोंगल की तरह काम करती है, जिसे कंप्यूटर, लैपटॉप या मोबाइल में तब तक नहीं लगाया जाएगा, जब तक किसी प्रकार का ट्रांजेक्शन नहीं किया जा सकता।
पें-ड्राइव जैसा दिखने वाला ट्रस्ट टोकन – पासवर्ड से सुरक्षित
ट्रस्ट टोकन डिवाइस एक सुरक्षा लेयर के रूप में कार्य करेगा, ताकि कोई भी व्यक्ति बिना सही पासवर्ड के इसे इस्तेमाल न कर सके। यदि यह डिवाइस किसी के हाथ में भी आ जाती है तो भी उसके पासवर्ड के बिना इसका उपयोग करना लगभग असंभव होगा। इस डिवाइस का उद्देश्य साइबर ठगी की घटनाओं को कम करना है और इसे चुराने या खोने की स्थिति में भी यह पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा।
मोबाइल पर सुरक्षित ट्रांजेक्शन के लिए बड़ा कदम
डॉ. धीमान ने बताया कि मोबाइल में अक्सर बैंकिंग ऐप्स का पासवर्ड सेव रहता है, जिससे गलती से किसी बच्चे या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा ऑनलाइन लेन-देन हो सकता है। इस डिवाइस से इस प्रकार के लेन-देन को भी नियंत्रित किया जाएगा। यदि मोबाइल फोन में ट्रस्ट टोकन और उसका पासवर्ड नहीं है, तो कोई भी भुगतान या ट्रांजेक्शन नहीं हो पाएगा।
आधिकारिक सहयोग और मेड इन इंडिया पर जोर
डॉ. साहा ने बताया कि ट्रस्ट टोकन के उपयोग को लेकर आईसीआईसीआई बैंक और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से बातचीत चल रही है। इस डिवाइस के इस्तेमाल को लेकर आवश्यक एग्रीमेंट किए जाने के बाद इसे लॉन्च किया जा सकता है। इस डिवाइस को पूरी तरह से मेड इन इंडिया बनाने पर भी काम चल रहा है, जिससे देश में साइबर सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा।
भारत में बढ़ती साइबर ठगी
देशभर में साइबर ठगी के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। छत्तीसगढ़ में 2024 के पहले 10 महीने में 17,011 लोग साइबर ठगी के शिकार हुए हैं। 2020 में इस राज्य में 2,295 साइबर अपराधों के मामले दर्ज हुए थे, जो 2021 में बढ़कर 7,134 हो गए और फिर 2022 में यह आंकड़ा 12,295 तक पहुंच गया। 2023 में यह आंकड़ा 22,296 तक पहुँच गया।
ट्रस्ट टोकन के महत्वपूर्ण फीचर्स
- पेन ड्राइव जैसा दिखने वाला ट्रस्ट टोकन
- पासवर्ड के साथ सुरक्षित डिवाइस
- बिना डिवाइस के ऑनलाइन लेन-देन संभव नहीं
- नेटवर्क बैंकिंग, ई-कॉमर्स और यूपीआई ट्रांजेक्शन को करेगा सुरक्षित
- मोबाइल और लैपटॉप में इसे कनेक्ट किए बिना कोई ट्रांजेक्शन नहीं होगा
IIT भिलाई का यह इनोवेशन साइबर फ्रॉड से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। यह डिवाइस ना सिर्फ यूपीआई, ई-कॉमर्स, और नेट बैंकिंग को सुरक्षित बनाएगी, बल्कि लोगों के डिजिटल लेन-देन को भी अधिक भरोसेमंद और सुरक्षित बनाएगी। इसके उपयोग के लिए सरकार और बैंक के साथ मिलकर कार्य किया जा रहा है, जो आने वाले दिनों में साइबर ठगी पर काबू पाने में सहायक हो सकता है।
