आगरा: कल रात इजरायल पर ईरान के हमले ने पूरी दुनिया में हलचल मचा दी है। इस संघर्ष का असर न केवल मध्य पूर्व के देशों पर, बल्कि भारत जैसे देशों पर भी पड़ने की संभावना है। विशेष रूप से, कच्चे तेल की कीमतों में संभावित वृद्धि और महंगाई की समस्याएँ भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं।
कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि
भारत, जो अपने कच्चे तेल का 80 प्रतिशत आयात करता है, इस संघर्ष से प्रभावित होने वाला पहला देश होगा। कल रात के हमले के बाद, कच्चे तेल की कीमतों में चार प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। ब्रेंट फ्यूचर का रेट 3.5 प्रतिशत बढ़कर 74.2 डॉलर प्रति बैरल हो गया, जबकि अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ऑइल 3.7 प्रतिशत बढ़कर 70.7 डॉलर प्रति बैरल हो गया है।
महंगाई का प्रभाव स्पष्ट रूप से देश के आम नागरिकों पर पड़ेगा। चूंकि भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों का सीधा असर दैनिक आवश्यक वस्तुओं, जैसे दूध और सब्जियों, के दामों पर पड़ता है, ऐसे में इस युद्ध का असर हर वर्ग के लोगों पर महसूस किया जाएगा।
शेयर बाजार पर प्रभाव
भारत का शेयर बाजार भी अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों से अछूता नहीं रहता। हाल के हमले के बाद, अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिरावट आई है, जिसमें एप्पल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे बड़े कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखी गई है। इससे भारतीय शेयर बाजार पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है, जिससे निवेशकों में अनिश्चितता का माहौल बन सकता है।
आरबीआई की मौद्रिक नीति
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति की आगामी बैठक में रेपो रेट में कटौती का निर्णय महत्वपूर्ण होगा। अगले फेस्टिव सीजन में मांग बढ़ाने के लिए आरबीआई को संतुलन बनाना होगा। महंगाई और अंतरराष्ट्रीय कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए, यह बैठक बेहद महत्वपूर्ण होगी।
ईरान-इजरायल युद्ध के कारण होने वाली आर्थिक उथल-पुथल से भारत भी प्रभावित होने वाला है। महंगाई, शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गंभीर चुनौतियाँ पेश कर सकती हैं। इसके परिणामस्वरूप, आम नागरिकों की जीवनशैली पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। भारत को इस स्थिति से निपटने के लिए सूझ-बूझ से कदम उठाने की आवश्यकता है।