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भारतीय सेना को मिलेगी और ताकत: DRDO ने 28 स्वदेशी हथियार सिस्टम की आपातकालीन खरीद का प्रस्ताव दिया

Saurabh Sharma
4 Min Read
भारतीय सेना को मिलेगी और ताकत: DRDO ने 28 स्वदेशी हथियार सिस्टम की आपातकालीन खरीद का प्रस्ताव दिया

नई दिल्ली: भारत सरकार देश की सेनाओं को लगातार और भी ज्यादा ताकतवर बनाने और ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, भारत की रक्षा रिसर्च संस्था DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) ने तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायुसेना – को 28 स्वदेशी हथियार सिस्टम आपातकालीन खरीद के तहत खरीदने का प्रस्ताव दिया है। यह महत्वपूर्ण फैसला पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना द्वारा इन देसी हथियारों से किए गए शानदार प्रदर्शन के बाद आया है।

आपातकालीन खरीद की मिली मंज़ूरी, ₹300 करोड़ तक खर्च कर सकेंगी सेनाएं

केंद्र सरकार ने भारतीय सेनाओं को आपातकालीन खरीद की मंज़ूरी दे दी है। इस मंज़ूरी के तहत, सेनाएं अपनी तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक सिस्टम पर ₹300 करोड़ तक खर्च कर सकती हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य जरूरत पड़ने पर तुरंत हथियार और रक्षा प्रणालियों की खरीद सुनिश्चित करना है।

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DRDO की सूची में शामिल प्रमुख हथियार सिस्टम

DRDO द्वारा तीनों सेनाओं को प्रस्तावित किए गए 28 अलग-अलग प्रणालियों में से कुछ प्रमुख हथियार सिस्टम्स में शामिल हैं:

  • एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें: हवाई युद्ध और जमीनी लक्ष्यों को निशाना बनाने के लिए।
  • लेजर गाइडेड बम: सटीक हवाई हमले के लिए।
  • टॉरपीडो: नौसेना के लिए पनडुब्बी रोधी और जहाज रोधी युद्ध हेतु।
  • नाग टैंक रोधी मिसाइल: हेलीकॉप्टर और जमीन से लॉन्च होने वाली, दुश्मन के टैंकों को ध्वस्त करने में सक्षम।
  • रुद्रम एंटी-रेडिएशन मिसाइल: दुश्मन के रडार और वायु रक्षा प्रणालियों को निष्क्रिय करने के लिए।
  • नौसेना के लिए एंटी-शिप मिसाइल: दुश्मन के युद्धपोतों को निशाना बनाने हेतु।
  • ग्रेनेड और 155 मिमी तोप के गोले: थल सेना के लिए।
  • स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड हथियार (SAAW): दुश्मन के हवाई अड्डों और रनवे को नष्ट करने में प्रभावी।
  • लॉन्ग रेंज ग्लाइड बम: लंबी दूरी से सटीक हमला करने के लिए।
  • हल्के टॉरपीडो: पनडुब्बी रोधी अभियानों के लिए।
  • मानवरहित टैंक रोधी मिसाइल (MPATGM): पैदल सेना के लिए हल्के और प्रभावी टैंक रोधी विकल्प।
  • बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS): कम ऊंचाई पर उड़ने वाले खतरों से बचाव के लिए।
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DRDO ने इन हथियारों की सप्लाई करने वाली कंपनियों के नाम भी दिए हैं, जिससे खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता और तेजी आएगी। तीनों सेनाओं को DRDO की ओर से 28 अलग-अलग प्रणालियों में से चयन करने का विकल्प दिया गया है।

  • भारतीय थल सेना: के लिए 14 प्रणालियां
  • भारतीय नौसेना: के लिए 8 प्रणालियां
  • भारतीय वायुसेना: के लिए 6 प्रणालियां

भारतीय वायुसेना स्मार्ट एंटी-एयरफील्ड वेपन्स (SAAW) को भी एक प्रस्ताव के तहत प्राप्त करने जा रही है, जिसे जल्द ही रक्षा मंत्रालय में विचार के लिए रखा जाएगा।

DRDO का बढ़ता प्रभुत्व और ऑपरेशन सिंदूर में प्रदर्शन

DRDO भारतीय रक्षा प्रणाली में एक प्रमुख हथियार निर्माता रहा है। इसके ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, MRSAM एयर डिफेंस सिस्टम और आकाश मिसाइल सिस्टम ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी हमलों को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई। DRDO की यह पेशकश चीन के साथ हुए पिछले टकराव की तुलना में कहीं ज्यादा मजबूत मानी जा रही है, क्योंकि अब DRDO के कई सिस्टम तुरंत उपयोग के लिए तैयार हैं, जिससे सेनाओं की जरूरतें प्रभावी ढंग से पूरी की जा सकेंगी। यह कदम ‘आत्मनिर्भर भारत’ और भारत की सैन्य शक्ति को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर है।

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