अमृतसर (पंजाब): अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता संभालने के बाद, अमेरिकी सेना के विशेष विमान में 104 भारतीय नागरिकों को अपराधियों की तरह हाथ-पैर बांधकर भारत भेज दिया गया है। ये भारतीय नागरिक अवैध रूप से अमेरिका में घुसे थे, जिनमें 79 पुरुष, 25 महिलाएं और 13 बच्चे शामिल हैं। इस विमान की लैंडिंग पंजाब के अमृतसर एयरपोर्ट पर हुई। इस घटनाक्रम ने भारत में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर नया विवाद खड़ा कर दिया है।
अमेरिका का सख्त रुख
अमेरिकी दूतावास ने इस घटनाक्रम पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि, जो भी अमेरिका में अवैध तरीके से प्रवेश करेगा, उसे तत्काल उनके देश वापस भेजा जाएगा। दूतावास के अनुसार, अमेरिका में इमिग्रेशन कानूनों का पालन राष्ट्रीय सुरक्षा और जनता की सुरक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। ट्रंप प्रशासन के अनुसार, अवैध प्रवासियों को ‘एलियंस’ (विदेशी) कहकर संबोधित किया गया है और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
अमेरिकी सेना के विमान से वापसी का विवाद
अमेरिका में अवैध प्रवासियों के प्रति डोनाल्ड ट्रंप का कड़ा रुख काफी समय से चर्चा का विषय बना हुआ है। ट्रंप का कहना है कि वह अवैध प्रवासियों को डिटेंशन सेंटर में रखने के बजाय उन्हें जल्दी से उनके देश वापस भेजना चाहते हैं। पिछले साल दिसंबर में चुनाव जीतने के बाद ट्रंप ने यह स्पष्ट किया था कि वह नहीं चाहते कि अवैध प्रवासी 20 वर्षों तक कैम्पों में रहें, बल्कि उन्हें जल्द से जल्द उनके देशों में वापस भेज दिया जाए।
इतिहास में पहली बार अमेरिकी सरकार ने अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया है, जो पहले कभी नहीं हुआ था। यह कदम सिविल विमानों के मुकाबले कई गुना महंगा है, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने इसे एक मजबूत संदेश देने के रूप में देखा। अमेरिका के मिलिट्री विमानों ने अब तक भारत समेत ग्वाटेमाला, पेरू, हैंडुरस और इक्वाडोर तक अवैध प्रवासियों को वापस भेजा है।
भारत में विरोध और राजनीतिक बहस
अमेरिका से भारतीय नागरिकों की इस तरह वापसी ने भारतीय राजनीति में उथल-पुथल मचा दी है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए इसे भारतीय सम्मान के खिलाफ मानते हैं। समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव और कांग्रेस के नेता शशि थरूर सहित कई नेताओं ने केंद्र सरकार को निशाने पर लिया है। उनका कहना है कि भारत के नागरिकों को अपराधियों की तरह हाथ-पैर बांधकर वापस भेजना भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
अमेरिका का कड़ा संदेश
अमेरिका का यह कदम दुनिया भर में एक कड़ा संदेश देने के रूप में देखा जा रहा है कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ अमेरिकी सरकार सख्त है। ट्रंप ने एक बार कहा था, “हम इन अवैध एलियंस को देश से बाहर निकालने के लिए इमिग्रेशन कानूनों का ईमानदारी से पालन करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि इस कदम से अमेरिका का सम्मान बढ़ेगा, और जिन देशों के नागरिक अब तक अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे, अब वे अपना रवैया बदलेंगे।
कोलंबिया का विरोध
हालांकि, ट्रंप के इस फैसले पर विवादों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ है। कोलंबिया सरकार ने इस फैसले का विरोध करते हुए अपने नागरिकों को सम्मानजनक तरीके से वापस भेजने के लिए सिविल विमानों का इस्तेमाल किया। कोलंबिया ने साफ कहा कि वह नहीं चाहता कि उनके नागरिक अमेरिकी सैन्य विमानों से लौटें, बल्कि वे अपने नागरिकों को सम्मान के साथ वापस लाना चाहते हैं।
नैतिक सवाल और भविष्य में संभावित असर
डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला, जिसमें अवैध प्रवासियों को सैन्य विमानों से वापस भेजने का निर्णय लिया गया है, दुनियाभर में राजनीतिक और सामाजिक सवालों को जन्म दे रहा है। क्या यह अमेरिका का अधिकार है कि वह दूसरे देशों के नागरिकों को इस तरह वापस भेजे? क्या यह कदम दूसरे देशों के लिए अपमानजनक हो सकता है? इन सवालों के बीच भारत में भी इस मुद्दे पर बहस जारी है।