भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 1 अक्टूबर को अपना पहला वाणिज्यिक मिशन लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। कार्टोसैट-3 नाम के इस अभियान में 13 उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरे शामिल होंगे जिनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिनमें मानचित्रण, सर्वेक्षण और आपदा प्रबंधन शामिल हैं।
इसरो ने पिछले कुछ वर्षों में कई वाणिज्यिक उपग्रह लॉन्च किए हैं, लेकिन यह पहली बार है जब वह अपना स्वयं का वाणिज्यिक मिशन लॉन्च कर रहा है। यह मिशन इसरो के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि यह उसे अपनी वाणिज्यिक उपग्रह लॉन्च क्षमताओं का विस्तार करने और वैश्विक वाणिज्यिक उपग्रह बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा।
कार्टोसैट-3 उपग्रह को श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी53 रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा। उपग्रह को लॉन्च करने के बाद उसके द्वारा ली गई तस्वीरें इसरो के भू-अवलोकन उपग्रह डेटा केंद्र (जीओएस-डीसी) को भेजी जाएंगी, जहां उन्हें संसाधित और वितरित किया जाएगा।
कार्टोसैट-3 उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है, जिनमें शामिल हैं:
- मानचित्रण और सर्वेक्षण: कार्टोसैट-3 उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों का उपयोग उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले मानचित्र और सर्वेक्षण तैयार करने के लिए किया जा सकता है। इससे विभिन्न विकास परियोजनाओं की योजना बनाने और कार्यान्वयन में मदद मिलेगी।
- आपदा प्रबंधन: कार्टोसैट-3 उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों का उपयोग आपदाओं के प्रभाव का आकलन करने और आपदा राहत कार्यों की योजना बनाने और कार्यान्वयन में मदद के लिए किया जा सकता है।
- कृषि और वानिकी: कार्टोसैट-3 उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों का उपयोग कृषि और वानिकी उद्योगों की निगरानी और प्रबंधन के लिए किया जा सकता है। इससे फसल पैदावार बढ़ाने और पर्यावरण को बचाने में मदद मिलेगी।
- शहरी नियोजन: कार्टोसैट-3 उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों का उपयोग शहरी नियोजन और विकास के लिए किया जा सकता है। इससे स्मार्ट शहर बनाने में मदद मिलेगी जो अधिक रहने योग्य और टिकाऊ होंगे।
कार्टोसैट-3 उपग्रह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इससे देश की अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं का विस्तार करने और वैश्विक अंतरिक्ष उद्योग में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।