भारत में फिर से लौटेंगे चीते, कीनिया से 20 चीते लाए जाएंगे

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भारत में फिर से लौटेंगे चीते, कीनिया से 20 चीते लाए जाएंगे

बरेली। भारतीय जंगलों में विलुप्त हो चुके चीतों को फिर से लाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। इस वर्ष 25 फरवरी से 27 सितंबर के बीच कुल 20 चीते कीनिया से भारत लाए जाएंगे। इन चीतों को मध्य प्रदेश के गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण्य, मंदसौर में रखा जाएगा, जहां उन्हें उचित देखरेख में रखा जाएगा और फिर जंगलों में छोड़ा जाएगा।

कीनिया से आने वाले चीतों का क्वारंटाइन प्रबंध

जंगल में छोड़े जाने से पहले, इन चीतों को क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे कोई भी संक्रामक रोग न लाएं। इसके लिए पूरे देश से वन्य जीव विशेषज्ञों की एक टीम बनाई गई है, जिसमें आईवीआरआई (इंडियन वेटरनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट), बरेली के पशु चिकित्सक डॉ. अभिजीत पावड़े और अन्य विशेषज्ञ शामिल होंगे।

आईवीआरआई बरेली के वैज्ञानिकों की निगरानी

आईवीआरआई बरेली के निदेशक एवं कुलपति, डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि चीतों की सुरक्षा और स्वस्थ रहने की निगरानी के लिए पशु वैज्ञानिकों की टीम क्वारंटाइन सेंटर की जांच करेगी। यह टीम चीतों के रहने के लिए बनाए गए केंद्र की स्थिति का आकलन करेगी और आवश्यक सुधारों का सुझाव देगी। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चीतों को एक सुरक्षित वातावरण मिले, जहां उनकी सेहत और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता हो।

चीतों की वापसी का इतिहास

भारत में 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था। इसके बाद कई सालों तक चीतों का भारत में कोई नामो-निशान नहीं था। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में चीता पुनर्वास परियोजना के तहत इस विलुप्त प्रजाति को फिर से भारत में लाने की कोशिशें तेज हुई हैं। 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से आठ चीते भारत लाए गए थे और 18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से 12 चीते लाकर उन्हें मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में छोड़ा गया था।

कूनो नेशनल पार्क और गांधी सागर अभ्यारण्य में चीतों का पुनर्वास

इस समय कूनो नेशनल पार्क में कुल 25 चीते हैं, जिनमें 12 वयस्क और 13 शावक शामिल हैं। अब, तीसरी बार कीनिया से 20 और चीते लाए जाएंगे, लेकिन इन चीतों को कूनो नेशनल पार्क की बजाय गांधी सागर वन्य जीव अभ्यारण्य में रखा जाएगा। यह अभ्यारण्य मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में स्थित है और यह गुजरात और राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है।

15 दिन तक क्वारंटाइन में रहेंगे कीनिया से आने वाले चीते

कीनिया से लाए गए चीतों को गांधी सागर अभ्यारण्य में छोड़े जाने से पहले करीब 15 दिन के लिए क्वारंटाइन सेंटर में रखा जाएगा। इस सेंटर को एनिमल क्वॉरंटाइन एवं सर्टिफिकेशन सर्विस, नई दिल्ली द्वारा बनाया गया है। चीतों को यहां विभिन्न बाड़ों में रखा जाएगा और उनकी स्वास्थ्य जांच की जाएगी।

क्वारंटाइन सेंटर में निगरानी

इस क्वारंटाइन सेंटर की निगरानी के लिए एक टीम बनाई गई है, जिसमें डॉ. अभिजीत पावड़े, डॉ. शोभा जावरे (नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, जबलपुर), डॉ. अश्वेंद्र राउत (राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान, भोपाल) और अन्य विशेषज्ञ शामिल हैं। यह टीम सेंटर में उपलब्ध सुविधाओं की जांच करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि चीतों के स्वास्थ्य पर पूरी तरह से ध्यान दिया जा रहा है। साथ ही, यह देखा जाएगा कि वे कोई ऐसी बीमारी न लेकर आएं जो अन्य वन्य जीवों के लिए खतरे का कारण बन सके।

नर और मादा चीतों का जोड़ा बनाना

क्वारंटाइन सेंटर में चीतों के व्यवहार और उनकी संगतता का भी परीक्षण किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि कौन से नर और मादा चीते एक दूसरे के साथ सहज महसूस कर रहे हैं, ताकि उन्हें उपयुक्त जोड़े के रूप में रखा जा सके।

सीधे वन्य जीवन में पुनर्वास

क्वारंटाइन अवधि पूरी होने के बाद, इन चीतों को गांधी सागर अभ्यारण्य में प्राकृतिक माहौल में छोड़ा जाएगा, जहां उनका वन्य जीवन में पुनर्वास किया जाएगा। यह भारत में चीतों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा और आने वाले वर्षों में उनकी संख्या बढ़ाने में मदद करेगा।

 

 

 

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